1. टफ़ी

चंकी को ढाई लाख,मंकी को पाँच लाख

सुपरहिट फ़िल्म "हम आपके है कौन" फ़िल्म में टफ़ी न सिर्फ परिवार का सदस्य था बल्कि टफ़ी फ़िल्म के क्लाइमेक्स का भी हिस्सा था. राजश्री प्रोडक्शन में 36 साल से काम कर रहे प्रोडक्शन इंचार्ज केसी सुब्रमनियन ने बताया कि "जब फ़िल्म का निर्माण हो रहा था तब पुणे के 65 वर्षीय एनिमल ट्रेनर चिंतामणि जी शेलार को दो पोमेरेनियन कुत्ते राजश्री प्रोडक्शन ने ख़रीदकर दिए. टफ़ी की ट्रेनिंग एक साल तक चली. पूरी फ़िल्म की शूटिंग ऊटी में हुई थी जहाँ इन कुत्तो को ठंड से बचाने के लिए हीटर का इस्तेमाल होता था. राजश्री प्रोडक्शन की 1964 में बनी फ़िल्म 'दोस्ती' में अभिनेता प्राण के निजी कुत्ते ने काम किया था और उस कुत्ते का नाम टफ़ी था. उसी की याद में 'हम आपके हैं कौन' फिल्म में कुत्ते का नाम टफी रखा गया. फ़िल्म खत्म होने के बाद टफ़ी को राजश्री प्रोडक्शन ने एनिमल ट्रेनर चिंतामणि शेलार को ही दे दिया और उनकी देखभाल के लिए हर महीने तीन हज़ार रूपए दिए जाते थे.

2. हैंडसम

चंकी को ढाई लाख,मंकी को पाँच लाख

"कबूतर जा-जा-जा" सुनते ही 'मैंने प्यार किया' का खूबसूरत सफ़ेद कबूतर याद जाता है. इस फ़िल्म के लिए राजश्री प्रोडक्शन ने मुंबई के क्रॉफोर्ड मार्केट से चार कबूतर ख़रीदे और ट्रेनिंग के लिए एनिमल ट्रेनर के पास भेज दिया. तकरीबन तीन महीने तक ट्रेनिंग चली. इन कबूतरों का नाम हैंडसम रखा गया. फ़िल्म की शूटिंग खत्म होने के बाद इन कबूतरों को मुंबई के चांदीवली स्टूडियो में आज़ाद कर दिया गया लेकिन अक्सर ये कबूतर राजश्री के ऑफिस आ जाया करते थे.

3. बजरंगी

चंकी को ढाई लाख,मंकी को पाँच लाख

1993 में बनी फ़िल्म 'आँखें' के निर्माता पहलाज निहलानी के लिए "बड़े काम का बन्दर" था बजरंगी. इस फ़िल्म में गोविंदा, चंकी पांडे, कादर खान और बजरंगी नाम का छोटा बंदर भी था. ये बंदर चेन्नई से आया था और उसके एनिमल ट्रेनर थे मिस्टर जेम्स. फ़िल्म के निर्माता पहलाज निहलानी कहते हैं कि "उस टाइम पर मैंने बंदर के लिए मैंने पांच लाख रुपए दिए थे और चंकी पांडे को ढाई लाख रुपए दिए थे क्योंकि उसका रोल लंबा था. वो बंदर वन टेक आर्टिस्ट था, जो बोलते थे वो करता था. फ़िल्मों में जानवरों के काम करने पर पाबंदी लगने पर चेन्नई के सभी जानवरों को मजबूरन सर्कस में भेजना पड़ा. ये बहुत दुर्भायपूर्ण रहा क्योंकि फ़िल्म इंडस्ट्री में जानवरों का शोषण नहीं होता था."

4. मोती

चंकी को ढाई लाख,मंकी को पाँच लाख

1985 की हिट फ़िल्म 'तेरी मेहरबानियाँ' में मुख्य किरदार मोती नाम के कुत्ते का था, जो अपनी मालिक के खून का बदला दुश्मनो से लेता है. असल में उस कुत्ते का नाम ब्राउनी था. फ़िल्म के लिए ब्राउनी की बहुत ट्रेनिंग हुई थी. फ़िल्म के निर्माता बताते है कि "ब्राउनी बहुत ही बेहतरीन कलाकार था. मैं तेरी मेहरबानियाँ फ़िल्म का रीमेक बनाना चाहता हूँ बशर्ते ब्राउनी जैसा जाए कोई मिले". उसके ट्रेनर शंकर नारायण ने बताया, "कुत्तों की ज़िन्दगी 12 - 15 साल होती है. अब ब्राउनी इस दुनिया में नहीं रहा."


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