मून जे-इन डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ कोरिया के उम्मीदवार हैं।
मून जे-इन उत्तर कोरिया के साथ बातचीत के पक्ष में हैं जबकि पूर्ववर्ती राष्ट्रपति पार्क गुन हे ने प्योंगयांग के साथ हर तरह के संबंध ख़त्म कर दिए थे।
सियोल में अपने समर्थकों से उन्होंने कहा, "मैं दक्षिण कोरिया का राष्ट्रपति बनूंगा"।
दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे अभी आने बाकी हैं, लेकिन टीवी पर दिखाए जाने वाले एग्ज़िट पोल के मुताबिक मून जे-इन को 41.4 फ़ीसदी वोट मिले हैं और रूढ़िवादी उम्मीदवार होंग जून प्यो को 23.3 प्रतिशत वोट मिले हैं।
पूर्ववर्ती राष्ट्रपति पार्क गुन हे पर भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के आरोप थे। हालांकि उन्होंने कुछ भी ग़लत करने के आरोपों से इनकार किया है। मार्च महीने में पार्क गुन हे को महाभियोग के ज़रिए पद से हटा दिया गया था।
2012 के राष्ट्रपति चुनाव में मून जे-इन पार्क गुन हे से मामूली अंतर से हारे थे।
अभी चुनाव के आधिकारिक नतीजों की घोषणा नहीं हुई है। लेकिन माना जा रहा है कि मून बुधवार को शपथ ले सकते हैं।
कौन हैं मून?
मून जे-इन को अपनी पूर्ववर्ती पार्क गुन हे के पिता का विरोध करने की वजह से जेल में दिन बिताने पड़े थे।
अब भ्रष्टाचार के आरोप में पार्क गुन हे जेल में बंद हैं और जबकि एक शरणार्थी के बेटे मून दक्षिण कोरियाई सत्ता के शिखर पर पहुंच गए हैं।
मून का शुरुआती जीवन ग़रीबी में बीता। उनकी मां उन्हें पीठ पर बिठा कर गुज़ारे के लिए अंडे बेचा करती थीं और आज वो देश का नेतृत्व करने जा रहे हैं।
कोरियाई युद्ध के समय मून के माता-पिता उत्तर से पलायन कर गए थे। 1953 में जब मून जे-इन का जन्म हुआ तब उनका परिवार दक्षिणी द्वीप जेओजे में रहता था।
मून की जीवनी के मुताबिक उनके पिता युद्धबंदियों के एक शिविर में काम करते थे जबकि उनकी मां बंदरगाह नगर बुसान की सड़कों पर अंडे बेचा करती थीं।
मून जे- इन अपनी पत्नी के साथ, वो दक्षिण कोरिया के इतिहास के कई अहम मोड़ का हिस्सा और गवाह रहे हैं
मू दारवादी राष्ट्रपति रॉह मू-ह्यून के वरिष्ठ सहयोगी के तौर पर काम कर चुके हैं। राष्ट्रपति रॉह मू-ह्यून ने 2009 में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद आत्महत्या कर ली थी।
क्या हैं उनकी नीतियां?
मून उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध और दबाव बनाए रखते हुए बातचीत करने के पक्ष में हैं, जबकि पूर्व राष्ट्रपति पार्क गुन हे ने उत्तर कोरिया से सभी रिश्ते ख़त्म कर लिए थे।
वो उत्तर कोरिया के हथियार कार्यक्रम पर लगाम न कस पाने के लिए पूर्व राष्ट्रपतियों की आलोचना करते रहे हैं।
इन चुनावों में दक्षिण कोरिया के लोगों के लिए भ्रष्टाचार, अर्थव्यवस्था और बढ़ी हुई बेरोज़गारी जैसे मुद्दे अहम रहे हैं।
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