'यूरोपियन कोर्ट ऑफ़ जस्टिस' का कहना है कि 'सेफ़ हार्बर' समझौते के बावजूद निजता के संरक्षण के लिए सक्रिय स्थानीय एजेंसियां इस बात की जांच परख कर सकती हैं कि क्या अमरीकी कंपनियां डेटा संरक्षण के लिए पर्याप्त क़दम उठा रही हैं?
कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा है कि अब आयरलैंड के नियामकों को ये फ़ैसला करना होगा कि क्या फ़ेसबुक की तरफ़ से यूरोप से अमरीका को भेजे जाने वाले डेटा पर रोक लगानी होगी।
'सेफ़ हार्बर' समझौता पिछले 15 साल से लागू है।
'कुछ ग़लत नहीं किया'
फ़ेसबुक ने इस बारे में कोई भी ग़लत काम करने से इनकार किया है।
फ़ेसबुक के प्रवक्ता ने कहा, "ये सिर्फ़ फ़ेसबुक का मामला नहीं है। निश्चित तौर पर आयरिश डेटा प्रोटेक्शन कमीशन की तरफ़ से हमसे जो भी पूछा जाएगा, हम पूरा सहयोग करेंगे।"
"जो भी हो इससे अटलांटिक के पार डेटा ट्रांसफ़र करने वाली सभी आयरिश कंपनियां प्रभावित होंगी।"
यूरोपीय कोर्ट ऑफ़ जस्टिस ने ये फ़ैसला एक ऑस्ट्रियाई प्राइवेसी कार्यकर्ता मैक्स श्रेम्स की याचिका पर दिया है।
श्रेम्स इस बात को लेकर चिंतित हैं कि सोशल नेटवर्किंग साइटों के ज़रिए यूरोपीय लोगों का निजी डेटा अमरीकी साइबर जासूसों के पास पहुंच सकता है।
फ़ैसले का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा, "इससे स्पष्ट हो जाता है कि व्यापक पैमाने पर की जाने वाली निगरानी से हमारे बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन होता है।"
'दूरगामी परिणाम'
वहीं कई लोगों का कहना है कि इस फ़ैसले के दूरगामी परिणाम होंगे।
एक क़ानूनी फ़र्म लिंकलेटर्स से रिचर्ड कैम्पबेल कहते हैं, "हज़ारों अमरीकी कारोबार सेफ़ हार्बर के तहत यूरोप से अमरीका भेजे जाने वाले डेटा पर पर निर्भर है। सेफ़ हार्बर के बिना उन्हें अब कोई नई व्यवस्था करनी होगी।"
अमरीका की लगभग पांच हज़ार कंपनियां इस समझौते के तहत ट्रांसफ़र होने वाले डेटा का इस्तेमाल करती हैं।
यूरोपीय आयोग इस बारे में मगंलवार को प्रेस कांफ्रेस कर अपना रुख़ रख सकता है।
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