ज़करबर्ग 9-10 अक्तूबर को भारत में आयोजित ‘इंटरनेट डॉट ओआरजी’ समिट में हिस्सा लेंगे. ये सम्मेलन इंटरनेट के प्रसार को बढ़ावा देने के लिए होता है.

लेकिन जब वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे तो क्या बातें ख़ास हो सकती हैं उनके एजेंडे में. आइए डालते हैं एक नज़र.

1. इंटरनेट के प्रसार में साझेदारी

मोदी से ये पांच चीज़ें चाहते हैं ज़करबर्गसवा अरब की आबादी वाले भारत में अब तक सिर्फ़ साढ़े 12 फ़ीसदी लोगों के पास इंटरनेट की सुविधा है.

नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने विज़न में इंटरनेट के प्रसार को प्रमुखता दी है.

अगर ऐसा होता है तो ये फ़ेसबुक के लिए भी अच्छी बात होगी, क्योंकि उसे नए यूज़र्स मिलेंगे.

2. शिक्षा और ई-गवर्नेंस

मोदी से ये पांच चीज़ें चाहते हैं ज़करबर्गकुछ महीने पहले अपनी भारत यात्रा में फ़ेसबुक की सीओओ शेरिल सैंडबर्ग ने कहा था कि कंपनी के लिए भारत में ज़बरदस्त संभावनाएं हैं.

उन्होंने कहा था कि फ़ेसबुक शिक्षा, स्वास्थ्य और कई अन्य क्षेत्रों में सरकार के साथ मिलकर रचनात्मक कार्य कर सकता है.

ज़करबर्ग इस एजेंडा को एक बार फिर दोहरा सकते हैं.

3. टैक्स व्यवस्था में और सफ़ाई

मोदी से ये पांच चीज़ें चाहते हैं ज़करबर्गभारत में व्यापार करना अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए आसान काम नहीं है.

विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार ‘आसान व्यापार व्यवस्था’ वाले देशों की सूची में भारत 134वें पायदान पर है.

नोकिया और वोडाफ़ोन भारतीय टैक्स व्यवस्था से जूझती नज़र आई हैं और हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने फ़ेसबुक पर भी ‘उचित टैक्स’ जमा नहीं करने पर सवाल उठाए हैं.

4. फ़ेसबुक से ख़ुफ़िया जानकारी की मांग

मोदी से ये पांच चीज़ें चाहते हैं ज़करबर्गसाल 2013 में भारत ने फ़ेसबुक से 6,843 बार जानकारियां मांगी हैं जो कई बड़े देशों से ज़्यादा है.

गूगल से सबसे ज्यादा जानकारी मांगने वाले देशों की सूची में भारत पांचवें स्थान पर है.

तकनीकी क्षेत्र में सरकार के दख़ल का असर क्षेत्र के विकास पर पड़ सकता है.

ज़करबर्ग इस बारे में भी अपनी चिंताए प्रधानमंत्री मोदी के सामने रख सकते हैं.

5. फ़ेसबुक पर लाइक या कमेंट से जेल

मोदी से ये पांच चीज़ें चाहते हैं ज़करबर्गबीते कई महीनों में भारतीय आईटी क़ानून के तहत कई फ़ेसबुक यूज़र्स को कथित ‘आपत्तिजनक कमेंट’ करने या उसे लाइक करने पर जेल की हवा खानी पड़ी है.

हालांकि आपत्तिजनक क्या है, उसकी परिभाषा स्पष्ट नहीं है. ज़करबर्ग इस बारे में भी मोदी से बात कर सकते हैं.

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