दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के आम चुनावों पर हर किसी की नज़रें टिकी हैं, गूगल और फ़ेसबुक की भी.

भारत में 2009 में क़रीब सात करोड़ लोग इंटरनेट पर थे, जबकि 2014 में ये आँकड़ा तीन गुना से अधिक बढ़ चुका है.

देश में क़रीब 24 करोड़ इंटरनेट यूज़र्स हैं और ये पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में वोटर्स इंटरनेट से जुड़े हैं.

इंटरनेट कंपनियों के लिए भी ये चुनाव एक महत्वपूर्ण मौक़ा है, जब वो नए यूज़र्स से चुनावी विषयों पर संवाद कर सकते हैं और अपने से जोड़ सकते हैं.

सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल ने इस चुनाव को अपने तरीक़े से कवर करने की योजना बनाई है.

क्या है गूगल की योजना?

गूगल इंडिया के मार्केटिंग डायरेक्टर संदीप मेनन कहते हैं, "ये पहला आम चुनाव है जिसमें इंटरनेट की एक सार्थक भूमिका होगी. हैंगआउट प्लेटफॉर्म का फ़ायदा ये है कि कई लोग एक ही वक्त अपने नेताओं के साथ बात कर सकेंगे. इसलिए हमने इलेक्शन हैंगआउट सिरीज़ शुरू की है."

गूगल ने इस लोकसभा चुनाव के लिए एक विशेष पन्ना बनाया है, जिसमें चुनाव से जुड़ी जानकारियां लोगों तक पहुचाने के लिए ज़बरदस्त ग्राफ़िक्स और तस्वीरों का प्रयोग किया गया है.
(गूगल इंडिया इलेक्शन पेज)

वेबसाइट ने चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों की जानकारी देने के लिए 'नो योर कैंडिडेट' फ़ीचर शुरू किया है, जिसमें इलाक़े का पिन कोड डालकर वहां के मौजूदा सांसद और उम्मीदवारों के बारे में अहम जानकारियां मिल सकती है.

चुनाव 2014: गूगल-फ़ेसबुक भी हैं मैदान में
जैसे बीते पांच वर्षों में किसी सांसद की हाज़िरी कितनी थी, या उन्होंने कितने मुद्दों पर चर्चा की या कितने सवाल पूछे, इत्यादि.

साथ ही मौजूद है 'ट्रेंड' मीटर भी. जो बताता है कि किस नेता या पार्टी या चुनावी मुद्दे के बारे में यूज़र्स सबसे ज़्यादा बात कर रहे हैं.

उधर अपने वीडियो चैटिंग टूल, हैंगआउट्स के ज़रिए गूगल, यूज़र्स के तीखे चुनावी सवाल बड़े नेताओं तक पहुंचा रहा है.

हैंगआउट्स पर हो रही चर्चाओं का यूट्यूब पर सीधा प्रसारण भी किया जा रहा है.

मतदान के लिए अभियान

चुनाव 2014: गूगल-फ़ेसबुक भी हैं मैदान में

गूगल ने लोगों को वोट देने के लिए प्रेरित करने के लिए 'प्लेज टू वोट' अभियान भी शुरू किया है.

जिसके चेहरे के रूप में चुना गया है हिमाचल प्रदेश के 97 वर्षीय श्याम नेगी को.

वो भारत के सबसे पहले वोटरों में से एक हैं और अब तक उन्होंने हर चुनाव में वोट दिया है. लेकिन ऐसा नहीं है कि अकेले गूगल ने ही इस
चुनाव के लिए विशेष तैयारियां की है.

सोशल मीडिया वेबसाइट फ़ेसबुक ने भी आम चुनावों से संबंधित कुछ अनोखे फ़ीचर्स लॉन्च किए हैं.

राजनीतिक तापमान


चुनाव 2014: गूगल-फ़ेसबुक भी हैं मैदान मेंअंखी दास भारत और दक्षिण एशिया में फ़ेसबुक की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर हैं.

वह कहती हैं, "चुनाव की घोषणा होने के बाद हमने इलेक्शन ट्रैकर शुरू किया है, इसमें राष्ट्रीय फलक पर पता चलता है कि कौन से नेता हैं और किस राजनीतिक पार्टी के बारे में ज्यादा बात हो रही है."

उन्होंने कहा, "इन आंकड़ों को रोज़ाना या हफ्तेवार देखा जा सकता है. इससे राजनीतिक तापमान का कुछ हद तक अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों किस तरह की पार्टी या नेताओं से जुड़ रहे हैं."

चुनाव 2014: गूगल-फ़ेसबुक भी हैं मैदान में

भारत में फ़ेसबुक के नौ करोड़ यूज़र्स किस नेता या पार्टी के बारे में सबसे ज़्यादा चर्चा कर रहे हैं, इसे फ़ेसबुक ने एक इंफ़ोग्राफिक के तौर पर पेश किया है.

(फ़ेसबुक इंडिया इलेक्शन ट्रैकर)

ये ट्रैकर यूज़र्स के कमेंट्स, तस्वीरें और वीडियो शेयर करने से संबंधित डाटा पर निर्भर करता है. इसके अलावा फ़ेसबुक ने चुनावी चर्चाओं के लिए 'टॉक्स लाइव' कार्यक्रम भी लॉन्च किया है.

कार्यक्रम की शक्ल टाउनहॉल चर्चा सरीखी है जिसमें फ़ेसबुक यूज़र्स के सवालों को वरिष्ठ पत्रकार मधु त्रेहान आमंत्रित नेताओं से पूछती हैं.

फ़ेसबुक की पेशकश


फ़ेसबुक इसे इंटरनेट पर लाइव ब्रॉडकास्ट भी करता है.

(फ़ेसबुक टॉक्स लाइव)


भारत में टॉक्स लाइव के पहले सीज़न में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव शामिल हुए थे.
कार्यक्रम का दूसरा सीज़न भी शुरू हो चुका है जिसे अमृतसर, वडोदरा और वाराणसी जैसे शहरों में आयोजित किया जा रहा है.

लाइफ़ इवेंट

चुनाव 2014: गूगल-फ़ेसबुक भी हैं मैदान में

वोटरों को प्रोत्साहित करने के लिए फ़ेसबुक ने हाल ही में 'आई एम ए वोटर' अभियान भी लॉन्च किया है.

इसके तहत, वोट देने वालों के फ़ेसबुक 'टाइमलाइन' पर इसे एक लाइफ़ इवेंट के तौर पर दर्ज़ किया जाता है.

दस अप्रैल की वोटिंग तक ही, क़रीब 15 लाख वोटर इसका हिस्सा बन चुके हैं. माना जा रहा है कि इस बार के चुनाव में सोशल मीडिया बड़ी भूमिका निभाएगा.

फ़ेसबुक पर यूज़र्स की संख्या के मामले में अमरीका के बाद सबसे ज़्यादा यूज़र्स भारत में हैं जिनकी संख्या नौ करोड़ है. वहीं इंटरनेट यूज़ करने वाले ज्यादातर यूज़र्स किसी न किसी गूगल उत्पाद का प्रयोग करते ही हैं.

ऐसे में माना जा रहा है कि इस साल चुनाव में चाहे मुद्दों की बात हो या नेताओं के चुनने की चर्चा- इंटरनेट की भूमिका अहम होगी.

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