ख़बरों के अनुसार देश के बोरनो राज्य के कावुरी में रविवार को एक व्यस्त बाज़ार पर हमला किया गया. चरमपंथियों ने कई बड़े धमाके किए और मकानों में आग लगा दी.
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि कहना है कि इस हमले में 52 लोग मारे गए, जबकि 22 अन्य वागा चाकावा गाँव में एक चर्च पर हुए हमले में मारे गए हैं.
इस हमले के लिए चरमपंथी संगठन बोको हराम को ज़िम्मेदार बताया जा रहा है.
बोको हराम का शाब्दिक अर्थ है "पश्चिमी शिक्षा हराम है". यह संगठन उत्तर पूर्वी नाइजीरिया में काफ़ी ज़्यादा सक्रिय है.
बीते मई में उत्तर पूर्वी नाइजीरिया के तीन प्रांतों बोर्नो, अदामावा और योबे में आपात काल लागू कर दिया गया था. ऐसा देश की सरकार ने चरमपंथियों से लड़ रही सेनाओं की मदद करने के लिए किया था.
हुआ कैसे
"गांव पर हमला करने वालों की संख्या लगभग 50 थी और उन लोगों के पास विस्फोटक और भारी आवाज़ करने वाली बंदूकें थीं"
-अरी कोलमी, प्रत्यक्षदर्शी
कावुरी गाँव पर हमले के एक प्रत्यक्षदर्शी और सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि बंदूकधारियों ने गाँव पर हमले के पहले जगह-जगह विस्फोटक लगा दिए थे.
चरमपंथियों ने लोगों के घरों के अंदर घुस कर भी लोगों पर हमले किए. हमलावरों ने दर्ज़नों मकानों को भी आग के हवाले कर दिया.
गाँव से भागे हुए एक आदमी अरी कोलमी ने समाचार एजेंसी एपी को बताया, "गाँव में एक भी मकान साबूत नहीं बचा है."
कोलमी के हवाले से कहा गया है कि 'गांव पर हमला करने वालों की संख्या लगभग 50 थी और उन लोगों के पास विस्फोटक और भारी आवाज़ करने वाली बंदूकें थीं.'
कोलमी ने कहा कि वह नहीं जानते कि गाँव में मौजूद उनके रिश्तेदारों और परिवार वालों में से कोई भी बच पाया या नहीं.
चर्च पर हमला
नाइजीरियाई सेना के अनुसार दूसरी घटना अदमावा राज्य के वागा चकावा राज्य में हुई. इस गाँव में चरमपंथियों ने स्थानीय चर्च पर ऐसे समय हमला किया जब वहाँ एक प्रार्थना सभा चल रही थी.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने वागा चकावा गाँव के एक आदमी के हवाले से लिखा है कि चरमपंथियों ने प्रार्थना सभा पर बम फेंके, गोलियां चलाईं और कई स्थानीय लोगों को बंधक बना लिया.
इन दोनों हमलों के पीछे बोको हराम के होने की आशंका व्यक्त की जा रही है.
देश में उथल पुथल
हाल ही में नाइजीरिया के राष्ट्रपति गुडलक जोनाथन ने सेना के हाई कमांड को निलंबित कर दिया था.
हालाँकि राष्ट्रपति के ऐसा करने के पीछे कोई कारण नहीं बताया गया था पर माना जा रहा है कि ऐसा चरमपंथी कार्रवाइयों में कमी ना आने के कारण किया गया है.
देश में पिछले साल चरमपंथियों से निपटने के लिए सेना को कई विशेष अधिकार दिए गए थे.
मई 2013 में देश के तीन राज्यों में आपात काल लगने के बाद से कम से कम 1200 लोग इस्लामी चरमपंथियों के हमलों के चलते अपनी जानें गँवा चुके है.
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