सोशल मीडिया पर जारी है बहस
इस तस्वीर के रिलीज होने के बाद से सोशल मीडिया पर बहस चल रही है कि आखिर यह तस्वीर असली है या पूरी तरह से फर्जी ढंग से बनाई गई है। इस बात के ऊपर काफी विवाद चल रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह संभव है कि साउथ अफ्रीका में ऐसे किसी बच्चे का जन्म हुआ हो जिसे देखकर कोई भी आसानी से डर सकता है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि यह इमेज एडिटिंग सॉफ्टवेयर पर बनी हुई तस्वीर है जिसमें बच्चे की आंखों को जानबूझ कर काला किया गया है ताकि यह लोगों में जिज्ञासा पैदा करे।
आखिर क्या है हकीकत
तस्वीर को रिलीज करने वालों ने इसे दुनिया के सबसे काले रंग के बच्चे के रूप में प्रचारित किया है। कहा गया है कि इस बच्चे का जन्म साउथ अफ्रीका में हुआ है। लेकिन गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने साफ किया है कि उन्होंने अपने रिकॉर्ड्स की पड़ताल कर ली है और यह खबर पूरी तरह से फर्जी है। लेकिन यह जानना जरूरी है कि इस तस्वीर में आखिर ऐसी कौन सी बात है जो इसे इंटरनेट पर वायरल बनाती है। मामले की जांच करने पर पता चलता है कि दुनिया में सबसे पहले 1998 में अमेरिका के टेक्सास में एक रिपोर्टर ब्रायन बेथल ने अपनी ईमेल में Black Eyed Kids के पाए जाने के बारे में लिखा। ब्रायन की पोस्ट में बच्चों की आंखों को पूरा काला बताया गया और उनके रोबोट्स की तरह चलने का जिक्र किया गया।
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