गोरखपुर (अनुराग पांडेय)। Exam 2024 : सीबीएसई 10 वीं और 12 वीं बोर्ड एग्जाम 15 फरवरी से शुरू हो रहे हैं। इससे पहले इंटर के यही स्टूडेंट जेईई मेन का एग्जाम देंगे। इसके बाद अप्रैल से जून तक नीट, कट और नेट के एग्जाम होने हैं। सभी एग्जाम का शेडयूल आने के बाद अब स्टूडेंट पर एग्जाम का प्रेशर जरू आएगा। इसलिए इस समय पेरेंट्स प्रेशर न बनाएं बल्कि बच्चों को हर चीज प्यार से समझाएं। बच्चों का प्रेशर कम करने में पेरेंट्स अहम रोल होता है। आइए जानते हैं कि इस बारे में साइकोलॉजिस्ट का क्या कहना है।
एग्जाम फोबिया से बच्चों को बचाएं
सेंट एंड्रयूज कॉलेज की असिसटेंट प्रोफेसर डॉक्टर श्वेता जानसन ने बताया कि बच्चों में आजकल एक मनोवैज्ञानिक समस्या तेजी से बढ़ रही है। जिसमें बच्चा एग्जाम को लेकर बहुत भयभीत हो जाता है। जिसे एग्जाम फोबिया भी कहा जाता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब बच्चा बेहद तनाव महसूस करता है,या बच्चे पर बार बार एक चीज का प्रेशर बनाया जाता है। जिसे सुनते सुनते वह परेशान हो जाता है। वो ख़ुद को अकेला पाता है, अपनी परेशानी को किसी से शेयर नहीं कर पाता है। जिसका प्रभाव तेजी से उसके मन मस्तिष्क और रूटीन पर पडऩा शुरू हो जाता है। बच्चे स्कूल से तथा पढ़ाई से पीछा छुड़ाने की कोशिश करता है। इसलिए पेरेंट्स को बच्चों का सहयोगी बनना चाहिए।

खाने-पीने पर पड़ता है असर
उन्होंने बताया कि लगातार हो रहे एग्जाम भी बच्चों के मानसिक स्थिति पर इफेक्ट डालते हैं। कई बार बच्चे पूरी नींद नहीं ले पाते हैं और अत्यधिक तनाव की वजह से उनके खाने पीने पर भी असर पड़ता है।

एनटीए ने जारी किया कैलेंडर

ज्वाइंट इंट्रेंस एग्जाम (जेईई मेन)- 2024 सेशन 1 - 24 जनवरी से 1 फरवरी 2024 तक
ज्वाइंट इंट्रेंस एग्जाम (जेईई मेन)- 2024 सेशन 2 - 1 अप्रैल से 15 अप्रैल 2024 तक
नेशनल एलिजबिल्टी कम इंट्रेंस टेस्ट (एनईईटी यूजी) 2024- 5 मई 2024
कॉमन यूनिवर्सिटी इंट्रेंस टेस्ट यूजी (सीयूईटी यूजी) 2024- 15 मई से 31 मई 2024 जुलाई तक
कॉमन यूनिवर्सिटी इंट्रेंस टेस्ट पीजी (सीयूईटी)2024- 11 मार्च से 28 मार्च 2024 तक
यूजीसी-नेट सेशन -1 - 10 जून से 21 जून 2024 तक

बच्चों के तनाव के कारण
लगातार परीक्षाओं का संचालन
पेरेंट्स का अत्यधिक प्रेशर
असफलता का डर
कोई अंतर्निहित चिंता समस्या
दूसरे बच्चों से तुलना
नींद की कमी
पौष्टिक आहार की कमी
पारिवारिक परिवेश

सुझाव -
पेरेंट्स बच्चों पर किसी भी तरह का दबाव ना बनाए ,उन्हें प्यार से समझाए ,उनकी बातों को सुने
बच्चो को प्रोत्साहन दें, उन्हें बताए की सफलता असफलता जीवन के अंग है हमे उससे सीख लेनी चाहिए
ध्यान दें कि बच्चा पूरी नींद ले
पौष्टिक आहार का सेवन ज़रूर करे
बच्चे के समक्ष कोई चिंता हो तो उससे बात करे उसे पूरा समय दे
दूसरे बचो से कभी उनकी तुलना ना करे
पूर्णतावाद से बचे ,स्वयं के बारे में अवास्तविक उम्मीदें रखने से चिंता, असंतोष और लक्षणों से निपटने में कठिनाई की भावनाएं बढ़ सकती हैं
परीक्षा की तैयारी पहले से रखे, अपनी चीजों को बार बार रिवाइज करें


एक के बाद एक एग्जाम बच्चों के तनाव का कारण बनता है। ऐसे समय में पेरेंट्स की अहम भूमिका होती है। वह बच्चों के दोस्त बनकर उन्हें सफलता और असफलता दोनों ही चुनौतियों से लडऩे के लिए तैयार करना चाहिए।
डॉक्टर श्वेता जानसन, असिसटेंट प्रोफेसर, सेंट एंड्रयूज कॉलेज

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