कानपुर। यह मिशन चंद्रयान-1 का विस्तार या बोले तो अगली कड़ी है। भारत की सरकारी अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, इस मिशन में एक उपग्रह विक्रम और प्रज्ञान को लेकर चांद की कक्षा में प्रवेश करेगा। इसके बाद उपग्रह से विक्रम प्रज्ञान को लेकर चांद की सतह पर उतरेगा। प्रज्ञान एक रोवर है, जिसमें छह पहिए लगे हुए हैं। यह विक्रम से निकलकर चांद की सतह पर इधर-उधर घूमेगा और मिट्टी वगैरह के बारे में जानकारियां जुटाएगा। चंद्रयान-1 यह काम नहीं कर पाया था इसलिए चंद्रयान-2 लांच किया गया है।
क्यों लांच हो रहा मिशन चंद्रयान-2
इस मिशन के तहत रोवर प्रज्ञान को चांद की सतह पर उतार कर चंद्रयान-1 के वैज्ञानिक कार्यों को आगे बढ़ाना है। इस कार्य के तहत चांद के सतह, मिट्टी, वातावरण वगैरह की जानकारी जुटाना है। इसरो ने बताया है कि इससे वैज्ञानिक अध्ययन के के लिए आंकड़े उपलब्ध होंगे। इसके लिए चंद्रयान से 13 उपकरण ले जाए जा रहे हैं। आठ वैज्ञानिक पे-लोड उपग्रह के साथ चांद की कक्षा में स्थापित होकर उसके बाहरी सतह की निगरानी करेंगे। तीन पे-लोड लैंडर विक्रम में फिट किए गए हैं जो चांद की सतह और उपसतह के बारे में विस्तार से जानकारी एकत्र करेंगे। रोवर प्रज्ञान में भी दो वैज्ञानिक पे-लोड फिट किए गए हैं, जो चंद्रमा की सतह के बारे में अतिरिक्त जानकारी जुटाएंगे।
सिर्फ 'एक दिन' के मिशन पर विक्रम
इसरो ने अपनी वेबसाइट पर बताया है कि मिशन चंद्रयान-2 का कार्यकाल कुल एक वर्ष का होगा। आर्बिटर एक साल तक चंद्रमा की कक्षा में रहकर वैज्ञानिकों को आंकड़े भेजता रहेगा। लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चांद के एक दिन यानी पृथ्वी के 14 दिनों तक मिशन पर रहेंगे। इस दौरान वे वहां से सभी जानकारियां जुटाकर पृथ्वी पर भेजते रहेंगे। चंद्रयान-2 को श्रीहरिकोटा से 15 जुलाई को 2.51 बजे जीएसएलवी-एमके III एम-1 प्रक्षेपण यान से अंतरिक्ष में छोड़ा जाना है। सबकुछ ठीक रहा तो 6 सितंबर को लैंडर विक्रम रोवर प्रज्ञान को लेकर चांद की सतह पर उतरने की संभावना है।
चांद पर कितनी दूर चलेगा प्रज्ञान
इसरो से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, लैंडर विक्रम चांद की सतह पर उतरने के बाद उससे छह पहियों वाला रोवर प्रज्ञान नीचे उतरेगा। नीचे उतरने की जगह से 500 मीटर की दूरी यानी आधा किलोमीटर तक वह चल पाएगा। इस दौरान वह चांद की सतह की मिट्टी और रास्ते में पड़ने वाले सभी चीजों की विस्तृत जानकारी जुटाएगा। इन आंकड़ों का चंद्रयान अभियान से जुड़े वैज्ञानिक विस्तार से विश्लेषण करेंगे। विक्रम और प्रज्ञान चंद्रयान-2 मिशन की विशेषता है। चंद्रयान मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों के लिए ऐसे आंकड़े पहली बार मिलेंगे।
चंद्रमा पर लैंडिंग एक बड़ी चुनौती
अभी तक मून मिशन से जुड़ी दुनिया की अंतरिक्ष एजेंसियों को चांद पर लैंडिंग में सिर्फ 52 प्रतिशत ही सफलता मिल सकी है। इससे आप समझ सकते हैं कि चांद पर लैंडर विक्रम की साॅफ्ट लैंडिंग और रोवर प्रज्ञान को उससे बाहर निकाल कर सतह पर उतारना और उसे मनचाहे दिशा में चलवाना कितना कठिन मिशन है। यही इस मिशन की चुनौतियां भी हैं। छह पहियों वाले रोवर प्रज्ञान के रास्ते में पड़ने वाली बाधा को पहचान कर उससे उसे दूसरी दिशा में मूव कराना अपने आप में एक बड़ी चुनौती होगी। अभी तक चांद की सतह पर लैंडिंग के 38 प्रयास किए जा चुके हैं, जिनमें से 19 या 20 में ही सफलता मिल सकी है।
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