बच्चों के पैरेंट्स से जानकारी लें:
जिस स्कूल में बच्चे को भेज रहे हैं उसके बारे में पता कर लें। वहां दूसरे पैरेंट्स से बात कर लें। उनसे पूछ लें कि यहां पर टीचर्स और दूसरे स्टाफ का व्यवहार कैसा है। बच्चों के प्रति प्रबंधन कितना अवेयर और जिम्मेदार है।
सीसीटीवी कैमरे लगे हैं या नहीं:
जिस स्कूल में आपका बच्चा पढ़ रहा है वहां यह भी देखें कि सीसीटीवी कैमरे लगे हैं या नहीं। इसके अलावा एक बार खुद ही बच्चे के साथ जाकर उसे दिखाएं कि कहां कैंटीन कहां वॉशरूम और कहां क्लास रूम बनी है।
बस में कोई टीचर रहता है या नही:
अगर आप बच्चे को खुद नहीं छोड़ने नहीं जा सकते हैं। ऐसे में स्कूल की बस या वैन से भेजें लेकिन ड्राइवर कंडक्टर के बारे में अपने स्तर से पता करें। साथ ही यह भी देखें उस वाहन में स्कूल का कोई टीचर रहता है या नही।
क्लास रूम का वातावरण भी देखें:
बच्चे के स्वास्थ्य हित में क्लास रूम का वातावरण देखें क्योंकि बच्चे का सबसे ज्यादा टाइम स्कूल में ही बीतता है। देखें कि क्लास रूम में वायु, रोशनी, धूप है या नहीं। अगर नहीं हैं तो इसके अल्टरनेट क्या व्यवस्था है।
स्कूल से आने के बाद बात करें:
हर दिन बच्चे के स्कूल से आने के बाद उससे एक बार बैठ कर बात जरूर करें। उससे स्कूल में पूरे दिन में हुई उसकी, टीचर और बच्चों की एक्टिविटीज के बारे में जरूर पूछें। उसके हर एक जवाब पर सक्रियता से ध्यान दें।
बैड टच-गुड टच के बारे में बताएं:
बच्चे को हमेशा से समझाएं कि वह किसी अंजान व्यक्ित के हाथ से दी हुई चीज न खाएं। किसी के कहने पर टीचर को बिना बताए कहीं न जाएं। किसी अंजा न के साथ न जाए। उसे बैड टच और गुड टच के बारे में बताएं।
रफ और ड्राइंग कॉपी जरूर देखें:
हर दिन बच्चों की रफ वर्क और ड्राइंग कॉपी जरूर देखें। कई बार बच्चे पैरेंट्स से कुछ नहीं बताते लेकिन अपने स्तर से उसमें लिखते हैं। बच्चों के साथ ओपन, बिहेवियर रखें। जिससे बच्चा सबकुछ खुलकर बोल सके।
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