'मेरे मन में अक्सर कई बातों को लेकर संशय रहता है। यही नहीं, एक प्रकार का डर भी है। इनको लेकर मैं अक्सर तनाव में रहती हूं। मैं अपने मन-मस्तिष्क की शांति के लिए क्या करूं?'- रीमा अग्रवाल, मेरठ

साध्वी भगवती सरस्वती (धर्मगुरु)भय, संदेह और तनाव, दुखद रूप से अक्सर हमारे मन-मस्तिष्क को तकलीफ देते हैं और ऐसा कई बार लगातार होता रहता है। इसका एक कारण यह भी है कि हम दरअसल अपनी सच्ची दिव्य प्रकृति को भूल गए हैं और ऐसा महसूस करने लगे हैं कि हमारे अंदर कोई गहरी व स्थाई कमी है और यही कारण है कि हममें से अधिकतर लोग आत्मविश्वास व साहस से इस दुनिया को अपनाने के बजाय, हीनता और असुरक्षा की भावना से घिरे हुए हैं। सिर्फ इसी कारण हम खुद को भय और दुख से घिरा हुआ पाते हैं।

अपनी दिव्य क्षमता को पहचानें

आपके सवाल का जवाब यह है कि आप हमेशा यह बात याद रखें कि ईश्वर ने आपको न सिर्फ बनाया है, बल्कि अपने अंश से बनाया है। इसका अर्थ यह है कि आप जो भी हैं, अपने आपमें संपूर्ण हैं। आप क्या करती हैं या उसमें आप कितनी सफल हैं, इससे आपकी पहचान नहीं हैं इसलिए कभी भी खुद को छोटा व कमजोर न समझें और अपनी दिव्य क्षमता को पहचानें। साथ ही खुद के बारे में कम और दूसरों के बारे में ज्यादा सोचें। अगर आप इस पर अपना ध्यान केंद्रित करें कि अपने समय व प्रतिभा द्वारा आप दूसरों की सेवा किस प्रकार कर सकती हैं, तो ईश्वर भी मानवता की भलाई के लिए आपका साथ देंगे। इससे आपके जीवन में व्याप्त तनाव दूर होगा।

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