नई दिल्ली (आईएएनएस)। चिपको आंदोलन के पर्याय प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा का शुक्रवार को 94 वर्ष की आयु में कोविड -19 के कारण निधन हो गया। उनका एम्स ऋषिकेश में इलाज चल रहा था और उन्हें 8 मई को कोविड -19 पाॅजिटिव पाए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सुंदरलाल बहुगुणा की कल रात से हालत गंभीर थी और ऑक्सीजन का स्तर गिर जाने के कारण उन्हें आईसीयू में ट्रांसफर कर दिया गया था। एम्स के निदेशक रविकांत ने बताया कि उन्होंने शुक्रवार को दोपहर 12.05 बजे अंतिम सांस ली।

पीएम मोदी ने जताया दुख

सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख व्यक्त करते हुए हा कि सुंदरलाल का निधन हमारे देश के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने के हमारे सदियों पुराने लोकाचार को बयां किया। उनकी सादगी और करुणा की भावना को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। मेरे विचार उनके परिवार और उनके प्रशंसकों के साथ हैं।

उत्तराखंड सीएम हुए दुखी

वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी इनके निधन पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि सुंदरलाल बहुगुणा का निधन एक बड़े नुकसान के रूप में है, क्योंकि उन्होंने चिपको आंदोलन को जनता का आंदोलन बना दिया था। सुंदरलाल बहुगुणा एक समर्पित पर्यावरणविद् थे जिन्हें चिपको आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है।

टिहरी बांध विरोधी आंदोलन का नेतृत्व

वह पहले चिपको आंदोलन के नेता के रूप में हिमालय में जंगलों के संरक्षण के लिए लड़े और बाद में एक दशक बाद टिहरी बांध विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया। इनक जन्म 1927 में उत्तराखंड के टिहरी के पास मरोदा में हुआ था। उन्होंने अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई लड़ी और बाद में राज्य की महिलाओं को शराब विरोधी अभियानों में संगठित करना शुरू किया।

चिपको आंदोलन को लीड किया

सुंदरलाल बाहुगुणा ने गांधीवादी सिद्धांतों को अपनाया और 4,700 किलोमीटर से अधिक के हिमालयी जंगलों की यात्रा की है। उन्होंने पेड़ पौधों को बचाने में अहम भूमिका निभाई है। चिपको पदयात्रा के तहत सुंदरलाल बहुगुणा ने जून 1981 में चंबा के लंगेरा गांव से हिमाचल की पदयात्रा शुरू की। इस आंदोलन में महिलाएं वृक्षों से चिपककर खड़ी हो गई थीं।

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