मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति होस्नी मुबारक को उम्र कैद की सजा सुनाए जाने और उनके कुछ मंत्रियों और अधिकारियों को बरी किए जाने से असंतुष्ट प्रदर्शनकारियों ने हजारों की संख्या में काहिरा और अन्य शहरों में जमा होकर प्रदर्शन किए हैं.
उधर कुछ युवाओं ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और एक समय मुबारक के प्रधानमंत्री रहे अहमद शफीक के काहिर में फायूम सिटी स्थित प्रचार दफ्तर पर धावा बोला, तोड़फोड़ की और दस्तावेज जला दिए हैं.
मिस्र में दशकों तक प्रतिबंधित रहे कट्टरपंथी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड ने एक बयान में कहा है वर्ष 2011 में प्रदर्शनों के दौरान मारे गए सरकार विरोधियों की मौत के सिलसिले में वह नई फोरेंसिक टीम बनाकर दोबारा जाँच कराएगा.
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार मोहम्मद मुर्सी ने कहा, "जांच के बाद फोरेंसिक टीम प्रदर्शनकारियों को जान से मारने वालों, देश को तबाह करने और लूटने वालों के खिलाफ सबूत पेश करेगी. ये क्रांति जारी है और जब तक अधिकार और न्याय नहीं मिल
जाते तब तक हम रुकेंगे नहीं."
जनवरी-फरवरी 2011 में मिस्र में हुए व्यापक सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद 30 साल से देश पर राज कर रहे होस्नी मुबारक को इस्तीफा देना पड़ा था.
मुबारक के चार सहयोगियों को रिहा किए जाने पर झड़पें भड़क उठीं
लेकिन इन प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 850 प्रदर्शनकारियों के मारे जाने और फिर शनिवार को अदालत में 84-वर्षीय मुबारक को इन घटनाओं से संबंधित पाए जाने पर उम्र कैद की सजा सुनाए जाने को प्रदर्शनकारियों ने
नाकाफी बताया है और सड़को पर उतर आए हैं.
अरब जगत में ट्यूनिशिया से शुरु हुए सरकार विरोधी और लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन धीरे-धीरे यमन, लीबिया, सीरिया और अन्य देशों में फैल गए. लेकिन इस अरब क्रांति में मुबारक पहले नेता है जिनपर उनकी मौजूदगी में मुकदमा चलाया गया और
सजा दी गई है.
काहिरा में मौजूद बीबीसी संवाददाता योलांड नेल के अनुसार, "देर रात तक भी काहिर के तहरीर चौक, राजधानी की अन्य सड़कों और कई अन्य शहरों में युवा प्रदर्शनकारी एकत्र होते रहे. चाहे मुबारक और उनके गृह मंत्री को फरवरी 2011 में
प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की हिंसा न रोक पाने के लिए उम्र कैद की सजा सुनाई गई है लेकिन युवा वरिष्ठ अधिकारियों को बरी किए जाने से गुस्सा हैं."
काहिरा में बीबीसी की योलांद नेल:
"देर रात तक भी काहिर के तहरीर चौक, राजधानी की अन्य सड़कों और कई अन्य शहरों में युवा प्रदर्शनकारी एकत्र होते रहे. चाहे मुबारक और उनके गृह मंत्री को फरवरी 2011 में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की हिंसा न रोक पाने के लिए
उम्र कैद की सजा सुनाई गई है लेकिन युवा वरिष्ठ अधिकारियों को बरी किए जाने से गुस्सा हैं"
बीबीसी संवाददाता के अनुसार एलेक्सांड्रिया, सुएज और मनसूरा में भी रैलियाँ हुई हैं.
पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस अदालती फैसले से मिस्र के एक अध्याय का अंत और नया अध्याय शुरु होने की उम्मीद की जा रही थी लेकिन प्रतीत होता है कि पुराने घाव फिर खुल रहे हैं.
पिछले साल हुए विद्रोह का नारा - "सैन्य शासन मुर्दाबाद" की गूँज सुनाई दे रही है और अनेक नागरिक शनिवार के अदालती फैसले की आलोचना करते दिख रहे हैं.
तहरीर चौक पर मौजूद एक प्रत्यक्षदर्शी शरीफ अली ने बीबीसी से कहा, "मुबारक पर आया फैसला हमारा मजाक उड़ाता है. उन्हें (मुबारक) और हबीब आदली को सजा मिली है और उनके सहयोगियों को छोड़ दिया गया है. जब वे (मुबारक और
आदली) कोर्ट में अपील करेंगे तो उन्हें भी छोड़ दिया जाएगा."
हालाँकि बीबीसी संवाददाता का कहना है कि हजारों लोग जो सड़कों पर उतरे हैं वे वर्तमान राजनीतिक स्थिति से निराश होकर ही सड़कों पर आए हैं.न्हें भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपमुक्त कर दिया गया है.
International News inextlive from World News Desk