कुछ ऐसी है जानकारी
अदालत के इस फैसले के पीछे कारणों पर प्रकाश डालें तो सामने आता है कि मुर्सी समेत 36 अन्य लोग फलस्तीनी संगठन हमास व लेबनानी चरमपंथी संगठन हिज्बुल्ला सहित कई विदेशी संगठनों संग मिलकर मिस्त्र की सुरक्षा पर प्रहार किया है। इनपर यहां की सुरक्षा को छिन्न-भिन्न करने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था।
17 अन्य अभियुक्तों को सुनाई गई मौत की सजा
इन सभी आरोपों में 17 अन्य अभियुक्तों को मौत कर सजा सुनाई गई है। मौत की सजा पाने वालों में मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता खौरात अल शतर, मोहम्मद अल बेल्तागी व अहमद अब्दुल अती शामिल हैं। जानकारी के अनुसार इन तीनों पर आतंकवाद को लेकर वित्तपोषण व ऐसा करके राष्ट्रीय सुरक्षा को क्षति पहुंचाने का आरोप मढ़ा गया है।
ऐसे हुआ था मुर्सी का तख्तापलट
यहां बताते चलें कि मिस्र में हुस्नी मुबारक की सत्ता से विदाई होते ही मुर्सी का लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचन हुआ था। वहीं जुलाई, 2013 में सेना ने तख्तापलट करके उनको सत्ता से दरकिनार कर दिया। उसके बाद बीते महीने अदालत ने मुर्सी, बदी व 100 से ज्यादा दूसरे इस्लामवादी नेताओं को जासूसी और 2011 की क्रांति के दौरान जेल से बंदियों को फरार करने का आरोप लगा। इसी आरोप के पुख्ता होते ही उन्हें मौत की सजा सुना दी गई।
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