कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Dussehra 2021 : विजयादशमी को दशहरा नाम से भी जाना जाता है। नेपाल में दशहरा को दशैन के रूप में मनाया जाता है। नवरात्रि का दसवां दिन दशहरा उत्सव के रूप में मनाया जाता है। दशहरा पर भारत में विभिन्न स्थानों पर, आतिशबाजी के साथ-साथ बुराई की जीत या विनाश का प्रतीक रावण के पुतले जलाए जाते हैं। इस बार यह पर्व 15 अक्टूबर दशमी के दिन आयोजित हो रहा है। इस दिन विशेष पूजा की जाती है। दृक पंचांग के मुताबक दशमी तिथि 14 अक्टूबर , 2021 को शाम 06:52 बजे शुरू होगी और 15 अक्टूबर 2021 को शाम 06:02 बजे समाप्त होगी। वहीं श्रवण नक्षत्र 14 अक्टूबर 2021 को सुबह 09:36 बजे से श्रवण नक्षत्र समाप्त - 15 अक्टूबर 2021 को सुबह 09:16 बजे तक रहेगा। वहीं विजय मुहूर्त 15 अक्टूबर 2021 को दोपहर 02:02 से दोपहर 02:48 तक रहेगा। दशहरा के दिन विशेष पूजा की जाती है।
दशहरा के दिन होने वाले पूजन
शमी पूजा, अपराजिता पूजा और सीमा अवलंघन या सीमोलंघन कुछ ऐसे अनुष्ठान हैं जिनका आयोजन विजयादशमी के दिन किया जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार अपराहन के समय इन अनुष्ठानों को करना चाहिए। दशहरा के दिन शस्त्र पूजन भी किया जाता है। इस दिन क्षत्रियों द्वारा शस्त्र पूजन, ब्राह्मणों द्वारा सरस्वती पूजन और वैश्यों द्वारा वही पूजन किया जाता है।
ये है दशहरा पूजन की सामग्री
दशहरा की पूजा में चावल, चंदन, मोली (लाल धागा), रोली, दीपक, अगरबत्तियां, नारियल, पुष्प, मिठाई, फल, जल, दूध, चीनी, दही, घी, मधु, सूखे मेवे, यज्ञोपवीत आदि की जरूरत होती है। इसके साथ ही दशहरा की पूजा के अंत में आरती करना अनिवार्य होता है। आरती के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
दशहरा पर नीलकंठ देखना शुभ
वहीं दशहरा के दिन नीलकंठ देखना शुभ होता है। मान्यता है कि इस दिन नीलकंठ का दर्शन हो जाए तो आने वाले साल में आर्थिक उन्नति, समृद्धि, सम्पन्नता आती है। इसके अलावा दर्शन करने वाला को रोग भय आदि नहीं होते हैं। दशहरा अबूझ मुहुर्त माना जाता है। इस दिन मांगलिक कार्यक्रम किए जाते हैं।
Dussehra 2021 : क्यों मनाया जाता है दशहरा और इसे क्यों कहते हैं विजयादशमी
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