अमरीका ही नहीं पूरी दुनिया में आज ड्रोन और रोबोट मिलकर बहुत से ऐसे काम कर रहे हैं जिनके लिए पहले इंसानों की ज़रूरत हुआ करती थी। आज दो ड्रोन मिलकर सौ लोगों के बराबर काम उसी वक़्त में निपटा देते हैं।
ड्रोन बनाने वाली बहुत-सी कंपनियां तो कहती हैं कि उनके ड्रोन सौ फ़ीसद खरा काम करते हैं। यानी बिना ग़लती किए हुए काम निपटा देते हैं।
कंपनियां कर रहीं रोबोट, ड्रोन का इस्तेमाल
ई-कॉमर्स, ऑनलाइन शॉपिंग और रिटेल सेक्टर की ज़्यादातर कंपनियां रख-रखाव यानी लॉजिस्टिक्स के लिए ड्रोन और रोबोट का इस्तेमाल कर रही है। वो पैकिंग करते हैं। सामान को सलीक़े से रखते हैं। हर सामान का हिसाब रखते हैं।
अमरीका की बड़ी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट के देश भर में ढाई लाख से ज़्यादा गोदाम हैं। इनमें छोटे से छोटा गोदाम भी 17 फुटबॉल फ़ील्ड के बराबर होता है। ऐसे विशाल वेयरहाउस में आजकल रोबोट और ड्रोन ही बड़ी ज़िम्मेदारियां निपटाते हैं।
वो फ़ोर्क-लिफ्ट की मदद से सामान को उठाकर यहां से वहां रखते हैं। सामान की छंटनी करते हैं। सबसे बड़ी बात कि ये आधुनिक मशीनें कमोबेश हर वो काम कर रही हैं, जो कभी इंसानों के हवाले हुआ करता था। फ़र्क़ ये है कि इन मशीनों से काम जल्दी और आसानी से हो रहा है। कंपनियों के लिए रोबोट और ड्रोन से काम लेना सस्ता पड़ रहा है।
अमरीका के मशहूर मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर फ़देल अदीब कहते हैं कि हर साल कंपनियां सामान गुम हो जाने या यहां-वहां रख दिए जाने की वजह से अरबों डॉलर का नुक़सान झेलती हैं। हिसाब-क़िताब में गड़बड़ी से भी कंपनियों को भारी नुक़सान होता है।
इंसानों से तेज़ हैं रोबोट, ड्रोन
आज गोदाम में रखे हर सामान का हिसाब रखने के लिए हर एक सामान को गिनने, उसके बार कोड की मदद से उसकी क़ीमत लिखने का काम बहुत मुश्किल हो गया है।
ड्रोन और रोबोट, इंसानों के मुक़ाबले ये काम बेहतर ढंग से और तेज़ी से कर लेते हैं। उनकी मदद से रात में भी काम होता रहता है। वो ये हिसाब भी फ़ौरन लगा लेते हैं कि किस सामान की ज़्यादा मांग है और कौन-सा सामान कम बिखर रहा है। रख-रखाव में हेर-फेर भी रोबोट की पकड़ में जल्दी आ जाता है।
यही वजह है कि उड़ने वाले ड्रोन और रोबोट का आज ई-कॉमर्स और रिटेल कंपनियां ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल कर रही हैं।
उड़ने वाले रोबोट बनाने वाली कंपनी पिंक के सीईओ मैट इयर्लिंग कहते हैं कि नई मशीनों के आने से गोदाम में रख-रखाव का काम बहुत आसान हो गया है। अब अगर इंसान पांच फ़ीसद भी ग़लती करते हैं तो कई गोदाम में
पांच-पांच फ़ीसद की गड़बड़ी को मिलाएं तो नुक़सान करोड़ों डॉलर का हो जाता है।
इस नुक़सान की भरपाई ड्रोन और रोबोट की मदद से की जा सकती है। उड़ने वाले रोबोट रात-दिन काम कर के इस नुक़सान को होने से बचा लेते हैं। ईयर्लिंग की कंपनी हाइड्रोजन फ़्यूल सेल से चलने वाले ड्रोन बनाती है। ये बैटरी से चलने वाले ड्रोन के मुक़ाबले ज़्यादा देर तक काम कर सकते हैं।
गिनती करने वाला ड्रोन
फ़्रांस की कंपनी हार्दिस ग्रुप ने सामान की गिनती करने वाला ड्रोन बनाया है। इसका नाम है-आईसी। एंड्रॉयड से चलने वाले इस ड्रोन में आप को उड़ने का डेटा भर फ़ीड करना होता है। फिर इसके बाद सारा काम ये ख़ुद करता है।
वैसे रिटेल सेक्टर की कंपनियां पिछले पांच-छह साल से मशीनों का ज़्यादा इस्तेमाल करने लगी हैं। 2012 में फ़ैशन ब्रांड नेट-ए-पोर्टर ने दावा किया था कि उसके रोबोट इंसानों से पांच सौ गुना बेहतर काम करते हैं। इसी तरह ऑनलाइन कंपनी अमेज़न के किवा रोबोट भी अपनी कार्यकुशलता के लिए मशहूर हैं।
आज की तारीख़ में हर बड़े गोदाम में रोबोट काम करते हुए मिल जाएंगे। भारत में भी बहुत लॉजिस्टिक्स कंपनियां ड्रोन और रोबोट का इस्तेमाल कर रही हैं।
इसके फ़ायदे तो आप ने जान लिए। मगर मशीनों से काम लेने के नुक़सान भी बहुत हैं। अमरीका में पिछले छह महीने में 89 हज़ार लोगों की नौकरियां मशीनों की वजह से चली गईं। अमरीका में 2027 तक 17 फ़ीसद नौकरियां रोबोट करेंगे।
हालांकि कई जानकार कहते हैं कि एक जगह नौकरियों के मौक़े कम होंगे, तो दूसरे अवसर मिलेंगे। जैसे कि लॉजिस्टिक्स सेक्टर में ही ज़्यादा हुनरमंद लोगों की ज़रूरत होगी।
गोदामों में मशीनों के बढ़ते इस्तेमाल का एक फ़ायदा ये भी होगा कि हादसे कम होंगे। ये वहां काम करने वाले लोगों के लिए तो अच्छी बात ही होगी।
अब हर चीज़ के कुछ फ़ायदे होते हैं, तो कुछ नुक़सान भी। अब हम सस्ता, आसानी से उपलब्ध हो सकने वाला ऑनलाइन ख़रीदारी वाला बाज़ार चाहते हैं, तो इसकी क़ीमत तो हमें चुकानी पड़ेगी न!
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