वाशिंगटन (पीटीआई)। व्हाइट हाउस ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीयों में फेमस एच-1बी वीजा के मौजूदा प्रावधानों में बदलाव किए जाने की इच्छा जाहिर की है। वह इस वीजा के माध्यम से हाइली स्किल्ड विदेशी प्रोफेशनल्स को आकर्षित करना चाहते हैं। व्हाइट हाउस के नीति समन्वयक मामलों के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ क्रिस लिडेल ने गुरुवार को कहा, 'राष्ट्रपति कई बार यह कह चुके हैं कि ऐसे उपाए निकाले जाए जिससे टेक्नोलॉजी जैसे उच्च कुशलता वाले क्षेत्रों में ग्रेजुएशन करने वाले लोग देश छोड़कर ना जाएं।'
पीएचडी करने वाले लोग भी आ सकें
नई प्रौद्योगिकी मामले पर एक लाइव डिस्कशन के दौरान एच-1बी वीजा मामले में ट्रंप के रुख के बारे में पूछे जाने पर लिडेल ने कहा, 'उन्होंने योग्यता आधारित आव्रजन का जिक्र किया है। इस मामले में एच-1बी सही है। बहुत दुःख की बात है कि यह वीजा निम्न कुशलता वाली आउटसोर्सिग नौकरियों को चला जाता है। ट्रंप प्रशासन इस तरीके में बदलाव करना पसंद करेगा ताकि प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्र में पीएचडी करने वाले ज्यादा लोग भी आ सकें।'
बढ़ रहे एच-1बी वीजा रोकने के मामले
गूगल, फेसबुक और माइक्रोसाफ्ट जैसी बड़ी आइटी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूह कम्पीट अमेरिका का दावा है कि एच-1बी वीजा रोकने का मामला इन दिनों काफी बढ़ गया है। वीजा मामलों को देखने वाली एजेंसी अमेरिकी सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआइएस) अपने ही नियमों के विरुद्ध जाकर ऐसा काम कर रही है। गृह सुरक्षा मामलों की मंत्री किर्स्टजेन नील्सन को लिखे पत्र में कम्पीट अमेरिका ने वीजा आवेदनों की प्रक्रिया मानकों में हालिया बदलाव के संबंध में कानूनी समस्या खड़ी होने की चिंता जाहिर की है।
हर साल भारतीयों को इस वीजा के जरिये मिलती है नौकरी
गौरतलब है कि इंडियन प्रोफेशनल्स के बीच फेमस एच-1बी वीजा अमेरिका में नौकरी के लिए जाने वाले लोगों को जारी किया जाता है। अमेरिकी तकनीकी कंपनियां हर साल भारी संख्या में भारत और चीन जैसे देशों के एच-1बी वीजा धारकों को अपने यहां नौकरी देती हैं। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही इस पर लगाम कसी जा रही है।
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