मगर अब इस चलन की गंभीर आलोचना होने लगी है.
कैरोलीन ब्रानाबो और सिलिवि ने पेरिस के 'पोंट डेस आर्ट' पुल पर ताला लगाकर चाभी पानी में फेंक दी थी. पांच साल बाद उनकी शादी हो गई.
कैरोलीन का प्यार आज भी उतना ही ताजा है, जितना पहले दिन था लेकिन 'लव लॉक' यानि प्रेम के तालों के प्रति उनका लगाव खत्म हो चुका है.
वे कहती हैं, "स्थितियां नियंत्रण से बाहर हो गई है. बेवजह के चलन के कारण इतना सुंदर पुल बर्बाद हो गया."
कैरोलीन ने जब 'पोंट डेस आर्ट' पुल पर ताला लगाया था तब वहां तालों की संख्या गिनी-चुनी थी. अब यहां अनगिनत तालों की भरमार है.
दुखी स्वर में वे कह उठती हैं, "अफसोस है कि मैं भी सार्वजनिक स्थल की सूरत बिगाड़ने और संकट खड़ा करने के अपराध में भागीदार रही हूं."
कुछ लोगों को तो प्रेम के इन तालों से ऐसी वितृष्णा हो गई है कि उन्होंने इसके खिलाफ 'नो लव लॉक' अभियान शुरू कर दिया है.
पेरिस में रहने वाले लिजा चेलर और लिजा अनसेल्मो दो दोस्त हैं, उन्होंने जनवरी में तालों के खिलाफ 'नो लव लॉक' नाम से अभियान जनवरी में शुरू किया है.
लिजा अनसेल्मो लिखती हैं, "सेन नदी पर बना यह पुल 'पोंट डेस आर्ट' उत्कृष्ट कला का नमूना है. मगर अब यहां तालों की अजीब भरमार हो गई है. ताले के रूप में धातुओं का एक ऐसा ढेर तैयार हो गया है जिसे यहां से हटाया नहीं जा सकता. ये इंसानों के लिए भी जानलेवा."
इनका कहना है कि मोहब्बत का शहर अब तालों के शहर में तब्दील हो गया है. उन्होंने सेन नदी पर बने कम से कम ऐसे आठ पुलों और संत मार्टिन नहर पर बने तीन पुलों की पहचान की है जहां ताले 'कुकुरमुत्तों की तरह' उग आए हैं.
लिजा अनसेल्मो कहती हैं, "इन तालों ने इन ऐतिहासिक ढांचों का रूप बिगाड़ दिया है, और इससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता"
"इनमें से कुछ ब्रिज तो 100 साल पुराने हैं. "
"इस प्रवृत्ति से शहरों, खासकर पेरिस गहरे संकट में है. यहां के निवासियों का ये सोचना कि, ताले प्रेम का प्रतीक हैं, एक जंगली सोच है."
यही वजह है कि कई जगह तालों को स्थानीय अधिकारियों ने काट कर हटाया है. कहीं कहीं तो तालों के वजन के खतरनाक सीमा से अधिक होने से लद जाने का कारण पुल की वो पूरी पट्टी ही हटानी पड़ी.
नो लव लॉक अभियान इसे एक महामारी मानता है और इसे पूरी दुनिया में प्रचारित कर रहा है.
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