मच्छरों का संगीत
वैसे तो मच्छर पूरे साल रहते हैं लेकिन कुछ खास मौसम में तो ये ज्यादा ही परेशान करते हैं। आज मच्छरों की वजह से ही डेंगू, चिकुनगुनिया जैसे बुखार लोगों को आ रहे हैं। बड़ी संख्या में हर साल लोगों की मौत हो रही है। सबसे खास बात तो यह है कि मच्छरों की वजह से आज लोग पूरी रात सो नहीं पाते हैं क्योंकि मच्छर रात में कानों में बज करते रहते हैं। बहुत से लोग इसे मच्छरों का संगीत भी कहते हैं।
मच्छरों की फितरत
इसमें वैज्ञानिकों के कई अलग-अलग मत हैं। जिसमें कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि जब मच्छर कानों में बज करते हैं उस समय उन्हें लोगों को सिंपैथी दिखाना चाहिए। मच्छर मजबूर होते हैं। उनका उड़ना जरूरी होता है। यह बज उनके उड़ने पर पंखों में होने वाली आवाज होती है। वहीं कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि भनभनाना मच्छरों की फितरत है। वे इसके जरिए लोगों से काफी अच्छे से घुलमिल लेते हैं।
नर मच्छर करीब आते
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जब अमेरिका में पीला ज्वर काफी ज्यादा था। उस समय लुइस एम रोथ ने मच्छरों पर शोध किया था। उनका कहना था कि नर मच्छर मादा मच्छरों का खास ख्याल रखते हैं। जिस समय मादा मच्छर सो रही होती है उस समय परेशान नहीं करते हैं। ऐसे में जब मादा मच्छर उड़ रही होती हैं उस समय नर मच्छर उनके करीब जाते हैं। यह भनभनाहट उनकी तलाश में होती है।
मादा मच्छर काटती
अक्सर लोग यह भी कहते हैं कि नर मच्छर की अपेक्षा मादा मच्छर ज्यादा काटती हैं। हालांकि यह बात पूरी तरह से सच नही है। इस पर कई बड़े शोध हुए हैं लेकिन कोई निश्चित परिणाम नहीं आया है। ऐसे में मादा मच्छर को बदनाम करना ठीक नही है। नर और मादा दोनों ही मच्छर हवा में उ़ड़ते हैं। जीने के लिए दोनों का ही उड़ना जरूरी है। दोनों ही मच्छर अपने पंखों से अपने खाने की व्यवस्था करते हैं।
आपको ज्यादा काटते
इसके साथ ही लोग यह भी कहते हैं कि उनके दोस्तों की अपेक्षा मच्छर उन्हें ज्यादा काटते हैं। मच्छर किसी को पहचानते नही है जब कि बस वह उन्हीं लोगों को काटते हैं कि जिन्हें पसीना अधिक आता है। अधिक गर्मी व कार्बन डाइऑक्साइड की गंध आने की वजह से भी मच्छर लोगों को अधिक काटते हैं। वहीं जो लोग डार्क रंग के कपड़े पहनते हैं उन्हें भी मच्छर ज्यादा काटते हैं। मच्छर गंदगी की ओर जल्दी भागते हैं।
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