सुधारने का प्रयास
आप भी कई बार डॉक्टरों के लिखे पर्चे को लेकर यही बोलते होंगे कि पता नहीं कैसा लिखते हैं। इतने पढ़े लिखे होने के बाद भी उनकी हैंडराइटिंग ऐसी है। जी हां ये बात तो सच है कि अधिकांश डॉक्टर ऐसे ही लिखते हैं। कई बार तो पर्चे पर ऐसे दवा लिखते हैं कि मेडिकल स्टोर वाले भी नहीं समझ पाते हैं। जिससे कई बार वे गलत दवा भी दे देते हैं। हालांकि डॉक्टरों की ऐसी हैंडराइटिंग को सुधारने का प्रयास हो रहा है।
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इसका राज खोला
हाल ही में इस काउंसिल ने हैंडराइटिंग को लेकर कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं। जिसमें यह कहा गया है कि सभी डॉक्टरों के लिए प्रिस्क्रिप्शन पर कैपिटल लेटर्स से लिखना जरूरी है। इसे अच्छे से लागू करने की कोशिश भी की जा रही है। ऐसे में इन सबके पीछे फिर से यही सवाल उठता है कि इनकी राइटिंग खराब ही क्यो होती है। यह समस्या अधिकांश्ा डॉक्टरों के साथ है। अब तक कई डॉक्टरों से इसके बारे में पूछा भी गया लेकिन कोई सही जवाब नहीं मिला, लेकिन हाल ही में क्यूरा पर एक महिला डॉक्टर ने इसका राज खोला है।
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वजह चौकाने वाली
डॉक्टर आरुषि शर्मा का कहना है कि मेडिकल की पढा़ई के दौरान डॉक्टरों को कई तरह के एग्जाम से गुजरना पड़ता है। कम समय में ज्यादा सवालों का जवाब देना पड़ता है। ऐसे में उनकी हैंडराइटिंग बिगड़ने लगती है। आखिरी में सार्वजनिक रूप से मरीजों के पर्चे पर दिखती है। हालांकि उनका यह कथन कितना सही है। कितने डॉक्टर इससे सहमत है, लेकिन हां अगर यह सच है तो यह वजह काफी चौकाने वाली है। वहीं अधिकांश लोग डॉक्टर आरुषि की इस वजह को सही मान रहे हैं।
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