बदलते कानून
पहले जब साल 1788 में अमेरिका में चुनाव हुए उस समय कोई भी ऐसा कानून नहीं था जो दिन, महीने या तारीख के अनुसार होता। साल 1792 में पहली बार ये कानून बनाया गया कि हर राज्य को राष्ट्रपति का चुनाव कराना होगा। इसी के अनुसार ये तय हुआ कि दिसंबर माह के पहले बुधवार से 34 दिन पहले तक सभी राज्यों में चुनाव करा लिए जाएं। ताकि दिसंबर के पहले बुधवार को अमेरिका के नए राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति की जनता से मुलाकात हो सके।
फिर तय हुआ इलेक्शन डे
चुनाव कराने की अंतिम निश्चित तारीख को इलेक्शन डे कहा गया और इसे नवंबर महीने में रखने का फैसला हुआ। ये फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि इस समय तक फसल उगाने का काम पूरा हो चुका होता है और अमेरिका में सर्दी अपने शिखर तक नहीं पहुंची होती है। क्योंकि बाद के महीनों में कड़ाके की ठंड और बर्फबारी के चलते वोटिंग के प्रभावित होने और उम्मीदवारों की जीत पर असर पड़ने का खतरा रहता है। बाद में ट्रेन और टेलीग्राफ के जरिए वोटिंग की शुरुआत भी की गई।
तय हुये तारीख और दिन
इसके बाद अमेरिकी कांग्रेस ने एक बिल के जरिए 1845 में चुनावों के लिए एक ही तारीख को मंजूरी दी। हालाकि शुरू में इस पर कुछ मतभेद हुए कि ये तारीख नवंबर के पहले सोमवार के बाद के एक दिन की तय करने की बात हुई थी। ये बहस वैसे तो 1844 में ही शुरू हो गयी थी। कारण ये था कि इस तारिख के अनुसार चुनाव के दिन और दिसंबर के पहले बुधवार के बीच 34 दिनों से ज्यादा का अंतर रहता था। जो सही नहीं माना गया था। इसके बाद आये बिल के अनुसार राष्ट्रपति चुनाव के लिए पहले सोमवार के बाद पड़ने वाले मंगलवार को वोटिंग कराने का फैसला किया गया। इस तरह इलेक्शन डे और राष्ट्रपति की जनता से पहली मुलाकात के बीच 29 दिनों का फासला रहता है। तब से यह प्रथा बरकार है।
भौगोलिक कारण भी हैं
इन चुनाव के पीछे अमेरिका के भौगोलिक कारण भी हैं। दरसल 19वीं सदी का अमेरिका एक कृषि प्रधान देश था और किसानों को मतदान केंद्र तक पहुंचने में काफ़ी वक़्त लगता था। शनिवार को काम के बाद रविवार को चलकर सोमवार को वोट देने पहुंचना संभव नहीं था। इसके बाद बुधवार को मंडियों में अनाज बेचने का दिन होता था। जिसके बाद वापस लौटना होता था। सप्ताहांत में मतदान करवाने की कोशिश पहले ही विफल हो चुकी थी। ऐसे में दिन बचा था मंगलवार।
प्रार्थना भी थी कारण
इसके साथ ही इसके धार्मिक कारण भी थे। क्योंकि अमेरिका में ज्यादातर लोग ईसाई धर्म के अनुयायी होते है। इस वजह से ज्यादातर लोग संडे को चर्च जाते थे। अब अगर वीकएंड में चुनाव रखे जाते तो वोटर्स का परसंटेज प्रभावित हो सकती थी।
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