डॉमिनिका
सन 1981 की बात है, जब यहां के लोगों ने भी अपनी सेना को भंग कर दिया था। उस समय से अब तक यहां कोई आर्मी नहीं है। हां, आंतरिक मामलों और सुरक्षा को देखते हुए पुलिस की व्यवस्था जरूर है। इसके अलावा ज्यादातर कैरेबियन देशों की सुरक्षा की जिम्मेदारी रीजनल सिक्योरिटी सिस्टम नाम के एक संस्था की है।
कोस्टा रिका
ऐसा नहीं है कि इस देश पर कोई खतरा नहीं है। सन 1948 की बात है जब इस देश में गृहयुद्ध छिड़ा था। उस युद्ध के बाद से यहां के लोगों ने यहां की आर्मी को भंग कर दिया। तब से अब तक ये देश बिना सेना के चल रहा है। अब ऐसा भी नहीं है कि इस देश पर कोई खतरा नहीं है। कोस्टा रिका का इसके करीबी देश निकारागुआ से बीते कई सालों से सीमा विवाद भी चल रहा है। इसके बावजूद बिना सेना सब यहां खुश हैं। वैसे आंतरिक मामलों को सुलझाने के लिए यहां लोकल पुलिस फोर्स है।
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पनामा
पनामा को 1990 से सेना की सुरक्षा नहीं मिली। हां, सुरक्षा के नाम इन्हें एक छोटी सिक्योरिटी फोर्स जरूर मिली है। यही फोर्स यहां के लोगों को हर तरह की सुरक्षा मुहैय्या कराती है।
मॉरीशस
1968 से पहले यहां सेना की सुरक्षा हुआ करती थी। उसके बाद से अब तक ये देश बिना सेना के ही है। इसके बारे में बताया जात है कि ये एक बहुसांस्कृतिक देश है। सुरक्षा के नाम पर अब इस देश को 10,000 पुलिसकर्मी मिले हैं। यही यहां के लोगों की हर आफत से रक्षा करते हैं।
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मोनैको
इस देश में कोई सेना नहीं है, लेकिन हां दो फौजी टुकड़ियां यहां की सुरक्षा में हमेशा तैनात रहती हैं। इनमें से एक टुकड़ी यहां के राजकुमार को सुरक्षा देती है और दूसरी नागरिकों को। इसके अलावा इसकी सुरक्षा का पूरा दारोमदार फ्रांस के पास है।
सोलोमन आईलैंड
एक दौर था जब यहां के लोगों को बड़े जातीय संकट का सामना करना पड़ा। इस संकट से तो यहां के लोगों को सेना ने उबार दिया, लेकिन उसके बाद से यहां किसी भी सेना का निर्माण नहीं हुआ। हां, सेना की जगह पर यहां एक बड़ी पुलिस फोर्स है। यही फोर्स अब यहां के लोगों को सुरक्षा देती है।
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वैटिकन सिटी
इस देश की सबसे बड़ी खासियत बता दें कि ये दुनिया का सबसे छोटा देश है। इस वजह से इस देश के लिए कभी कोई खास आर्मी नहीं बनाई गई। 1970 में यहां के नोबल गार्ड को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया था। अब इतालवी सेना यहां के लोगों को सुरक्षा प्रदान करती है।
आइसलैंड
1869 से इस देश के पास किसी आर्मी की सुविधा या सुरक्षा नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि यहां लोग न रहते हों, या यहां के लोगों को सेना की सुरक्षा की जरूरत न हो। हां, ये जरूर है कि क्योंकि ये देश नाटो का सदस्य है इसलिए इसकी सुरक्षा का जिम्मा यूएस का है।
ग्रेनाडा
1983 के बाद से यहां के लोग भी सेना की सुरक्षा से वंचित ही हैं। कभी अगर यहां के लोगों पर कोई संकट आता है तो यहां का पुलिस बल लोगों को सुरक्षा प्रदान करता है।Interesting News inextlive from Interesting News Desk
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