1- इंडिया और पाकिस्तान को अलग करने वाली लाइन को एलओसी कहा जाता है। यह लाइन ब्रिटशि बैरिस्टर सर क्राल रेडक्लिफ के द्वारा ब्रिटिश सेटअप बाउंड्री कमीशन लेड के तहत बनाई गई थी। यह गुजरात और राजस्थान को पाकिस्तान के सिंधु प्रांत से अलग करती है। पूर्व पकिस्तान से लेकर पश्चिम पाकिस्तान तक यह लाइन बाघा बार्डर कहलाती है। जम्मू कश्मीर को खैबर पख्तकुआं उत्तर पश्चिम सीमांत क्षेत्र में आते हैं।
2- गुजरात के कक्ष से यह 1175 नंबर पिलर से शुरु होकर यह भारत के अखनूर क्षेत्र में जो जम्मू कश्मीर में है खत्म होती है। इसे इंटरनेशल बॉर्डर यानी आईबी के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान में इसे रेडक्लिफ लाइन और वर्किंग बाउंडी के नाम से जानते हैं। अक्टूबर 1947 में जब पाकिस्तानी सेना जम्मू कश्मीर क्षेत्र में घुस आई तो 1947 से लेकर 1949 तक कश्मीर युद्ध लड़ा गया। यूएन के हस्तक्षेप के बाद जम्मू में भरतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच संघर्ष विराम हुआ और कश्मीर में युद्ध समाप्ति की घोषणा हुई।
3- यह लाइन जम्मू और कश्मीर के राज्यों को भी बांटती है। जम्मू, कश्मीर वैली, लद्दाख और आजाद कश्मीर एवं गिल्ट-बाल्टिस्तान जो कि पाकिस्तान द्वारा अधिकृत क्षेत्र है। पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रा गांधी ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष जुल्फियर अली भुट्टो के साथ 1972 में शिमला समझौता किया जिसके बाद पाकिस्तान और भारत को अलग करने वाली लाइन का नाम लाइन ऑफ कंट्रोल पड़ा। एलओसी गुजरात से लेकर अखनूर रेंज की जम्मू वैली तक एनजे 9842 तक है। भारत और पाकिस्तान का यह बार्डर विश्व के सबसे खतरनाक बार्डरों में से एक है।
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