-दिगंबर जैन मंदिर असौड़ा हाउस में दिए मुनिश्री ने प्रवचन
-तरुण क्रांति मंच गुरु परिवार का हुआ गठन
Meerut : क्रांतिकारी राष्ट्रसंत जैनमुनि तरुण सागर महाराज ने बुधवार को अध्यात्मिक सुख से श्रद्धालुओं को अविभूत किया। लौकिक व परलौकिक सुख के बीच तुलना करते हुए कहा कि रोते हुए इस संसार में आना दुर्भाग्य नहीं बल्कि जिंदगी भर रोना और रोते-रोते हुए मर जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। वेस्टर्न कचहरी रोड स्थित दिगम्बर जैन मंदिर, असौड़ा हाउस में मुनिश्री ने ज्ञान की गंगा बहाई।
हंसते-हंसते विदा लें
जैनमुनि तरुण सागर महाराज ने प्रवचन देते हुए कहा कि ईश्वर का अंत: मन से स्मरण मुक्ति का मार्ग खोलता है। उन्होंने बताया कि हम भले ही रोते हुए पैदा हुए हों पर जिंदगी की सफलता तो इसी में है कि हंसते-हंसते दुनिया से विदा लें। मनुष्य में मनुष्यता, पशुता और दिव्यता ये तीन शक्तियां निवास करती हैं। मनुष्य को गिरना नहीं है, बल्कि ऊपर उठना है। वह ऊपर उठे तो देवता हो सकता है और नीचे गिरे तो पशु हो सकता है। मंदिर प्रांगण में शाम को मुनिश्री ने सांयकालीन आनंद यात्रा में अमृतवर्षा की। उन्होंने लौकिक एवं परलौकिक सुख के बारे में तुलना की। कहा कि संसार में रोते-रोते जीव या मनुष्य आता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण नहीं है बल्कि वह रोते-रोते जीवन जीए और रोते-रोते ही मर जाए यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इसमें जीवन की सफलता नहीं बल्कि असफलता है।
गुरु परिवार का गठन
दूसरी ओर क्रांतिकारी राष्ट्रसंत मुनिश्री तरुणसागर जी की प्रेरणा से मंदिर में तरुण क्रांति मंच गुरु परिवार का गठन हुआ। इसमें अध्यक्ष एड। श्यामलाल जैन, मंत्री संजय जैन नील वाले, उपाध्यक्ष रविंद्र जैन व सिमलेश जैन, कोषाध्यक्ष मनीष जैन सदर एवं प्रवक्ता सुनील जैन को नियुक्त किया गया। कार्यकारिणी गठन में गुरुपरिवार के सभी सदस्य मौजूद रहे। सभी सदस्यों ने मुनिश्री से वार्तालाप कर शंकाओं का समाधान कराया।