कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Diwali 2024: दिवाली पर्व हर वर्ष कार्तिक अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। इस बार दिवाली का त्योहार 31 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जा रहा है। यह रोशनी का त्योहार है और इसे पूरे देश में उत्साह और उमंग के साथ अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। इसके साथ ही दिवाली के दौरान देश के कई हिस्सों में धन की देवी मां लक्ष्मी और रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मां लक्ष्मी धन की देवी हैं और घरों में खुशहाली, धन और सद्भावना को आमंत्रित करने के लिए इनकी पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी की परिक्रमा करती हैं अपने भक्तों पर आशीर्वाद बरसाती हैं। हालांकि लक्ष्मी पूजा के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है।

पूजा की तैयारी
पूजा शुरू करने से पहले घर को अच्छी तरह से साफ करना और सजाना जरूरी है। पूजा की प्रक्रिया शुरू करने से पहले शुद्धिकरण की रस्म के तौर पर पूरे घर और परिवार के सभी सदस्यों पर गंगा जल छिड़कें।

पूजा वेदी की स्थापना
पूजा करने के लिए एक चौकी रखें फिर उस पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर कुछ अनाज फैला दें। हल्दी पाउडर से कमल का फूल बनाएं और उस पर देवी लक्ष्मी और गणेश की छवि या मूर्ति रखें।

कलश की स्थापना
तांबे के बर्तन का तीन-चौथाई हिस्सा पानी से भरें और फिर उसमें सिक्के, सुपारी, किशमिश, लौंग, सूखे मेवे और इलायची डालें। बर्तन के ऊपर आम के पत्तों को गोलाकार तरीके से रखें और उसके बीच में नारियल रखें। कलश को पूजा वेदी पर रखें और उसे सिंदूर और फूलों से सजाएं।

मूर्तियों को पवित्र स्नान
मूर्तियों को शुद्ध जल, पंचामृत, चंदन के पानी और गुलाब जल से स्नान कराना चाहिए। फिर उन्हें हल्दी पाउडर, चंदन के लेप और सिंदूर से सजाना चाहिए। उसके बाद मूर्तियों के चारों ओर माला और फूल रखे जाते हैं।

पूजा
लक्ष्मी पूजा की शुरुआत गणेश और फिर लक्ष्मी को चढ़ाने से होती है। चढ़ावे में आमतौर पर बताशा, लड्डू, पान के पत्ते और मेवे, सूखे मेवे, नारियल, मिठाई, घर की रसोई में पकाए गए व्यंजन और कुछ सिक्के शामिल होते हैं। दीपक और अगरबत्ती जलाई जाती है और मंत्र का जाप करते हुए फूल चढ़ाए जाते हैं।

लक्ष्मी जी की कहानी पढ़ें
लक्ष्मी की पांचाली के रूप में भी जानी जाने वाली, देवी लक्ष्मी की कहानी परिवार के किसी बुजुर्ग सदस्य द्वारा सुनाई जाती है जबकि परिवार के बाकी लोग इसे ध्यान से सुनते हैं। कहानी के अंत में, देवी की मूर्ति पर फूल चढ़ाए जाते हैं और मिठाई का भोग लगाया जाता है।

लक्ष्मी जी का मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:
ॐ महालक्ष्म्यै नमो नम: धनप्रदायै नमो नम: विश्वजनन्यै नमो नम:

पूजा आरती
देवी के सामने आरती गाकर और कपूर की आरती कर पूजा का समापन किया जाता है। फिर देवी से समृद्धि और धन की प्रार्थना की जाती है और प्रसाद के रूप में मिठाई खाई जाती है।

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