कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Ganesh Lakshmi Aarti: दिवाली पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाने वाला त्योहार है। दिवाली के दौरान धन की देवी मां लक्ष्मी और रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की विधिविधान से पूजा की जाती है। मां लक्ष्मी धन की देवी हैं और घरों में खुशहाली, धन और सद्भावना को आमंत्रित करने के लिए इनकी पूजा की जाती है। ऐसे में दिवाली पर पूजन शुरू करने से पहले गणेश लक्ष्मी के विराजने के स्थान पर रंगोली बनाएं। जिस चौकी पर पूजन कर रहे हैं उसके चारों कोने पर एक-एक दीपक जलाएं। पूजन के दौरान आरती करना अनिवार्य माना जाता है। दिवाली पर गणेश जी की आरती का पाठ करने और उनकी पूजा करने से कई आशीर्वाद मिलते हैं, आंतरिक प्रकाश और ज्ञान की रोशनी आती है और बाधाएं और रुकावटें दूर होती हैं। वहीं दिवाली पर लक्ष्मी जी की आरती का पाठ करना एक पूजनीय परंपरा है जो कई लाभ प्रदान करती है। लक्ष्मी जी की आरती अंधकार और अज्ञानता को दूर करती है, आध्यात्मिक विकास के मार्ग को रोशन करती है।
गणेश जी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेव।।
एकदंता दयावंता, चार भुजाधारी।
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सावरी।।
(माथे पर सिंदूर सोहे, मूसे की सावरी।।)
पान चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा।
(हार चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा।)
लड्डूअन का भोग लगे, संत करें सेवा।।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेव।।
अंधे को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बनझना को पुत्र देत, निर्धन को माया।।
'सूर' श्यामा शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेव।।
(दीनन की लाज रखो, शम्भु सुतावरी।
कामना को पूर्ण करो जग बलिहारी।।)
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेव।।
लक्ष्मी जी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
उमा रामा ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनी, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भावनानिधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहते हो, सब सद्गुण आते हैं।
सब संभव हो जाये, मन न घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब चौंकाते हैं॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोद्धि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनंद समता, पाप उतर जाता है॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥