कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Diwali 2024: दिवाली अंधकार और अज्ञानता पर जीत का प्रतीक है। इस दौरान घर को सजाना दिवाली उत्सव का एक अभिन्न अंग है। लोग देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए अपने घरों को रंगोली, रंग-बिरंगे फूलों और मिट्टी के दीयों से सजाते हैं और सकारात्मकता, खुशी और सौभाग्य की पाने का प्रयास करते हैं। माना जाता है कि टिमटिमाती रोशनी और सजावट ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि की रोशनी का प्रतीक है। ऐसे में लोग इस दिवाली पर देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने और उन्हें अपने घर में स्वागत करने के लिए प्रवेश द्वार को इन पांच चीजों को सजा सकते हैं। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और घर को खुशियों और धन से भर देंगी।

बंधनवार
प्रवेश द्वार पर बंधनवार लगाकर देवी लक्ष्मी का गर्मजोशी से स्वागत करें। आमतौर पर फूलों, पत्तियों या कपड़े से बनी यह रंगीन सजावट सकारात्मकता और समृद्धि को आकर्षित करती है। वास्तु के अनुसार बंधनवार के डिजाइन और पैटर्न नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाते हैं, जिससे सौभाग्य और खुशी आती है।

दीये
देवी लक्ष्मी के आगमन पर प्रवेश द्वार को दीयों से रोशन करें। ये कोमल रोशनी ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि का प्रतीक हैं। वास्तु संतुलन और सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए प्रवेश द्वार के दोनों ओर दीये रखने की सलाह देता है। मिट्टी या धातु के दीये चुनें, क्योंकि वे नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मकता भरते हैं।

रंगोली
चावल के आटे, फूलों या पाउडर से बनी जटिल रंगोली डिजाइन से अपने प्रवेश द्वार को सजाएं। ये लक्ष्मी का आशीर्वाद आकर्षित करते हैं, जिससे समृद्धि और सौभाग्य सुनिश्चित होता है। वास्तु नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने और सकारात्मकता को आमंत्रित करने के लिए खूबसूरत रंगोली बनाने का सुझाव देता है।

फूल और माला
अपने प्रवेश द्वार पर सुगंधित ताजे फूलों और मालाओं से देवी लक्ष्मी का स्वागत करें। गेंदा, गुलाब और चमेली शुभ विकल्प हैं, जो खुशी, समृद्धि और प्रेम का प्रतीक हैं। वास्तु के मुताबिक इसेस सकारात्मक ऊर्जाओं आती है। इसके अलावा ताजे फूल हवा को भी शुद्ध करते हैं, जिससे शांत वातावरण बनता है।

ओम या स्वास्तिक चिन्ह
देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए प्रवेश द्वार पर पवित्र ओम या स्वास्तिक चिन्ह लगाएं। ये शुभ प्रतीक शांति, समृद्धि और खुशी को आकर्षित करते हैं। वास्तु में इन्हें दरवाजे के ऊपर या प्रवेश द्वार की दीवार पर लगाने की सलाह दी जाती है। इससे संतुलित और सामंजस्यपूर्ण ऊर्जा प्रवाह सुनिश्चित होता है।