कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Diwali 2021: दिवाली रोशनी का त्योहार है जिसे पूरे देश में जोश और उत्साह के साथ अंधेरे पर प्रकाश की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।यह पांच दिनों तक चलने वाला त्योहार है और उत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है, इसके बाद छोटी दिवाली, दीवाली, भाई दूज और गोवर्धन पूजा होती है। हर घर को झिलमिलाती रोशनी और चमकीले रंगों से सजाया जाता है। घर को सजाने के लिए दीयों, मोमबत्तियों और फूलों का भी उपयोग किया जाता है। ये सारी सजावट भाग्य और धन की देवी देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए की जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी की परिक्रमा करती हैं और सबसे अधिक रोशनी वाले घर पर अपना आशीर्वाद देती हैं। इस बार दिवाली का पर्व 4 नवंबर को मनाया जा रहा है। इस दिन लक्ष्मी पूजा मुहूर्त शाम 06:06 रात 08:49 तक है। पूजन का समय 02 घंटे 43 मिनट है।

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पूजा सामग्री
महालक्ष्मी पूजा के लिए पूजा सामग्री में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति, कमल की माला, शमी पत्ता, कुमकुम, रोली, पान, गंगाजल, धनिया, गुड़, फूल, फल, गेहूं, जौ, दूर्वा, सिंदूर, चंदन, पंचामृत, मेवे शामिल हैं। दूध, बताशे, खील, श्वेत वस्त्र, जनेऊ, चौकी, इत्र, सुपारी, नारियल, चावल, इलायची, लौंग, कपूर, धूप, मिट्टी, अगरबत्ती, कपास, दीपक, कलवा, दही, शहद, कलश, चंदन, चांदी सिक्का, बैठने की मुद्रा, हवन कुंड, हवन सामग्री, आम का पत्ता आदि मुख्य सामग्री है। हवन में डालने के लिए बेल की लकड़ी, सूखे नारियल के गोले, बिना शक्कर की खीर और सफेद तिल आदि की आवश्यकता होती है।

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पूजा विधि
देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति को लाल कपड़े के ऊपर एक साफ जगह पर रखें। पूजन स्थल को रंगोली के रंगों, रोशनी और दीयों से सजाएं। कुमकुम लगाएं और देवी को फल, फूल, सोने और चांदी के सिक्के चढ़ाएं। अब खील-बताशे का भोग लगाएं और चरणामृत में मिला दें। इसे परिवार के सदस्यों में प्रसाद के रूप में बांट दें।

मां लक्ष्मी की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन * सेवत हरि विष्णु विधाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता

सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता

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