कानपुर। हिंदी फिल्मों में फेस्टिवल सेलीब्रेशन का मतलब होता है, चकाचौंध करते भारी भरकम सेट, ढेरों खूबसूरत मॉडल्स, सबसे खास नजर आते हीरो और हिरोइन और ढेर सारा नाच गाना। मत बॉलीवुड में कुछ फिल्में ऐसी भी हैं, जिनमें दिवाली फेस्टिवल सिर्फ धूमधड़ाके के साथ मनाया नही नहीं गया, बल्कि इस त्योहार के बाद से फिल्म का रुख ही बदल गया। ऐसी ही खूबसूरत और यादगार हैं ये 5 बॉलीवुड फिल्में...

कभी खुशी कभी गम (2001)
इस फिल्म का यह टाइटल ट्रैक फिल्म के हीरो राहुल यानि शाहरुख खान और उनकी फैमिली के इमोशनल गैदरिंग को खूबसूरत ढंग से दिखाता है। आंखों में आंसू लिए गाना गाती नंदनी यानि जया बच्चन और हेलीकॉप्टर से बाहर जंप करके घर की ओर भागते शाहरुख और पार्टी में धूम मचाती रानी मुखर्जी का गाना दर्शकों को काफी इमोशरल कर देता है। गाने के ठीक बाद नजर मिलते ही शाहरुख और काजोल की प्रेम कहानी शुरु हो जाती है, जो मूवी को नए डायरेक्शन में ले जाती है।

 

वास्तव (1999)
संजय दत्त स्टारर मूवी वास्तव में दिवाली के त्योहार का एक खास सीक्वेंस है, जिसके दौरान संजय दत्त की क्रिमिनल और डान वाली इमेज पहली बार दर्शकों के सामने आती है। संजय अपने गले में सोने की मोटी चेन, एक हाथ में पिस्टल और दूसरे में नोटों की गड्डी के साथ मां के सामने आता है, लेकिन उसकी मां अपने क्रिमिनल बेटे को डांटते हुए सुधर जाने की बात कहती है। इसके बाद फिल्म अलग ही दिशा में चल पड़ती है।

जो जीता वही सिकंदर (1992)
आमिर खान और आयशा जुल्का स्टारर इस ब्लॉकबस्टर फिल्म में दीवाली के मौके पर आए फेमस सॉन्ग (शहर की परियों के पीछे जो हैं दीवाने) से फिल्म का रुख बदल जाता है। इस गाने में दर्शकों को आमिर और आयशा के बीच की तकरार के साथ ही आमिर के भाई (मामिक सिंह) और उनकी बचपन की दोस्त के बीच के मासूम प्यार की दिलकश झलक मिलती है। यही वजह है कि इतने सालों बाद भी इस फिल्म के दिवाली सीन और सॉन्ग को लोग बार बार देखना चाहते हैं।

 

मोहब्बतें (2000)
शाहरुख, ऐश्वर्या राय के अलावा भारी भरकम स्टारकास्ट वाली इस फिल्म में आया दिवाली सेलीब्रेशन का सीन और सॉन्ग (पैरों में बंधन हैं) फिल्म में बड़ी अहमियत रखता है। इस गाने के माध्यम से एक साथ तीन 3 यंग लव स्टोरी परवान चढ़ती हैं। इसके दिवाली सीन से राज आर्यन यानि शाहरुख खान अमिताभ बच्चन की सत्ता को चुनौती देते हैं और फिल्म का रुख ही पलट जाता है।

 

तारे जमीन पर (2007)
फिल्म के मेन कैरेक्टर डिस्लेक्सिया से पीडि़त एक बच्चे ईशान यानि दर्शील सफारी के लिए दिवाली खुशी नहीं बल्कि गम से भरी हुई नजर आती है। दिवाली के ठीक बाद ईशान को बोर्डिंग स्कूल भेज दिया जाता है। इस वजह से दिवाली मनाने के दौरान ईशान के चेहरे पर पल-पल बदलते हंसी और उदासी के भाव दर्शकों को इमोशनल कर देते हैं।

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