देवरिया (जेएनएन)। कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने बताया कि योगी सरकार में त्वरित कार्रवाई हुई है। देवरिया डीएम को हटाया दिया गया है। डीएम से लगातार शिकायतें हो रही थी। इसके बावजूद डीएम ने ठोस कार्रवाई नहीं की। पूर्व डीपीओ अभिषेक पांडेय को भी सस्पेंड कर दिया गया है। अभिषेक पांडेय की बड़ी जिम्मेदारी थी। बहुगुणा ने कहा कि दो अफसरों की टीम देवरिया रवाना कर दी गई है। रेणुका कुमार और एडीजी अंजू को भेजा वहां भेजा गया है। दोनों को चॉपर से तत्काल रवाना कर दिया गया है। वे सभी बच्चों से एक-एक करके बात करेंगी।
‘12 घंटे में बालिका गृहों की जांच करके रिपोर्ट दें’
कैबिनेट मंत्री जोशी ने बताया कि सीएम के निर्देश के बाद भी निरीक्षण नहीं किया था। सभी डीएम को फिर से निर्देशित किया गया है। 12 घंटे में बालिका गृहों की जांच करके रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। अनूप सिंह और नीरज कुमार की भी जांच होगी। अनूप और नीरज के पास डीपीओ का अतिरिक्त प्रभार था। बालिका गृह का लाइसेंस 2017 में ही खत्म हो गया था। डीएम के पास बालिका गृह के आंकड़े मौजूद नहीं थे। संचालिका ने गुमराह किया किया था कोर्ट का कोई स्टे नहीं है।
जिलाधिकारी पर सीएम थे नाराज
मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने खुद जिलाधिकारी सुजीत कुमार को सोमवार की सुबह फोन कर पूरी अपडेट ली। इस दौरान रात को ही जानकारी न देने पर जिलाधिकारी पर नाराजगी भी जताई है। साथ ही पूरे प्रकरण की जांच कर शाम तक रिपोर्ट उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया है। उधर दो घंटे तक जिलाधिकारी सुजीत कुमार व अपर पुलिस अधीक्षक गणेश प्रसाद शाहा ने बाल गृह पहुंच मुक्त कराए गए बच्चों व महिलाओं से बातचीत की।
शासन से लगातार अधिकारियों के पास फोन आ रहे
मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान के द्वारा संचालित बाल गृह बालिका, बाल गृह शिशु, विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण अभिकरण एवं स्वाधार गृह देवरिया की मान्यता को शासन ने स्थगित कर दिया है। इसके बाद भी संस्था में बालिकाएं, शिशु व महिलाओं को रखा जा रहा था। रविवार को बालिका गृह से बेतिया बिहार की रहने वाली एक बालिका प्रताड़ना के चलते भाग निकली और पूरे प्रकरण का खुलासा हो गया। इसके बाद पुलिस प्रशासन गंभीर हो गया है और लगातार इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की तलाश में अपनी जाल बिछाए हुए है। एसपी के इस प्रकरण के खुलासा करने के बाद से ही शासन से लगातार अधिकारियों के पास फोन आ रहे हैं।
जिलाधिकारी के पास भी मुख्यमंत्री का फोन आया
सूत्रों का कहना है कि रात को जिलाधिकारी के पास भी मुख्यमंत्री का फोन आया, लेकिन वह रिसीव नहीं कर पाए। सुबह मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन कर जिलाधिकारी से बात कराई गई। जिलाधिकारी सुजीत कुमार से लगभग दस मिनट तक बातचीत मुख्यमंत्री ने की। इस दौरान रात को फोन न रिसीव करने तथा प्रकरण से अवगत न कराने पर जिलाधिकारी से नाराजगी जताई। उधर प्रमुख सचिव के साथ ही मंडलायुक्त समेत अन्य अधिकारियों ने भी जिलाधिकारी से बातचीत की और प्रकरण के बारे में जानकारी लेते हुए रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
राजकीय बाल गृह में कराया गया शिफ्ट
पुलिस ने देर रात संस्था पर छापेमारी कर बच्चों व महिलाओं को मुक्त तो करा लिया, लेकिन उन बच्चों व महिलाओं को कहां रखा जाएगा? इसकी व्यवस्था नहीं हो सकी। जिला प्रोवेशन अधिकारी प्रभात कुमार के प्रयास के बाद उन्हें भोर में राजकीय बाल गृह में शिफ्ट किया गया। जिला प्रोवेशन अधिकारी ने कहा कि उन्हें शिफ्ट अभी किया गया है। फिर उम्र की जांच करने के बाद उन्हें गोरखपुर व बलिया जनपद में शिफ्ट किया जाएगा। जांच के चलते अभी कुछ निर्णय नहीं लिया जा रहा है।
18 नहीं, 19 बच्चे व महिलाएं हैं गायब
जिला प्रोवेशन अधिकारी का कहना है कि उनके पास महिला व बच्चों को मिलाकर कुल 42 होना चाहिए। रात को मुक्त कराते समय 24 बच्चों को अपने कब्जे में लिया गया, लेकिन देर रात जांच में एक बच्चा उसमें काम करने वाली एक महिला का निकल गया, जिसके चलते उसे वापस कर दिया गया, अभी तक कुल तीन लड़के व 20 महिलाएं मुक्त कराई गई है। अभी भी 19 महिलाओं व बच्चों का पता नहीं चल पाया है। साथ ही संबंधित संस्था के लोग भी कोई डाटा नहीं दे पा रहे हैं।
23 जून 2017 को हुआ था पहला पत्र व्यवहार
संस्था द्वारा संचालित बाल गृह बालिका, बाल गृह शिशु, विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण अभिकरण एवं स्वाधार गृह देवरिया की मान्यता 2017 में सीबीआई की जांच में संदिग्ध मिलने के बाद स्थगित कर दिया गया। शासन के निर्देश पर जिला प्रोवेशन अधिकारी प्रभात कुमार ने 23 जून 2017 को ही पत्र व्यवहार किया, लेकिन बच्चों को महिलाओं को संस्था द्वारा दूसरे जगह शिफ्ट नहीं किया गया। जबरिया बच्चों को अपने पास संस्था द्वारा रखा गया और उनसे अवैध कार्य कराए गए। जिलाधिकारी ने मुख्यमंत्री व प्रमुख सचिव को अपडेट देते समय सोमवार को बताया गया कि कई बार खाली कराने का प्रयास किया गया, लेकिन हर बार गिरिजा त्रिपाठी ने महिलाओं को आगे कर न तो खाली कराने दिया गया और न ही जांच ही पूरी की गई। सीबीआइ जांच में ही यहां बच्चे कम मिले हैं। इसलिए इसे संदिग्ध पहले ही किया जा चुका है।
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