सामाजिक निंदा
हालाकि कई बड़े शहरों में लिव इन रिलेशनशिप अब एक बढ़ता हुआ ट्रेंड बन गया है पर इसके बावजूद इसे सामाजिक स्वीकृति प्राप्त नहीं हे और इसके लिए एक टैबू बना हुआ है। खास कर बुजुर्ग लोग इसे काफी हेय दृष्टि से देखते हैं। वैसे भी जिस समाज में जाति, सामाजिक स्तर और संप्रदाय को लेकर इतने बंधन हों वहां लिव इन रिलेशन में रहने वालों को सहज स्वीकृत किया जाये ये आसान नहीं है।
रिश्ता टूटना आसान
कुछ लोगों को जो इस रिश्ते की सबसे बड़ी एडवांटेज लगती है वही कुछ के लिए सबसे बड़ी डिसएडवांटेज है। किसी भी आर्थिक, सामाजिक और कानूनी जिम्मेदारी से आजाद ये रिश्ता लोगों को बड़ा आसान भी लगता है। जहां अगर कमिटमेंट ना हो तो कोई भी एक पक्ष दूसरे को आहत और हतप्रभ छोड़ कर आसानी से आगे बढ़ जाता है। सबकि शादी में कितने भी मतभेद के बाद रिश्ता तोड़ने की जटिल प्रक्रिया किसी को आसानी से छोड़ कर चल देने का मौका नहीं देती।
औरतें रहती हैं सबसे ज्यादा नुकसान में
लिव इन रिलेशन शिप में सबसे ज्यादा नुकसान में महिलायें ही रहती हैं क्योंकि आज भी हमारा समाज पुरुष प्रधान है। ऐसे में अगर लिव इन रिलेशनशिप से एक पुरुष पार्टनर निकल कर चला जाता है तो महिला को सामाजिक प्रताड़ना तो सहनी ही पड़ती है दूसरा साथी मिलना भी आसान नहीं होता। साथ में सुरक्षा और भावनात्मक सहारा भी नहीं मिलता।
बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव
लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों के बच्चों पर सबसे ज्यादा नकरात्मक प्रभाव पड़ता है। पहली चीज तो ये कि आमतौर पर देखा गया है कि ऐसे जोड़ों की संतानों में नियम और कायदों के प्रति सम्मान बहुत कम पाया जाता है। साथ ही वे बेहद असुरक्षित महसूस करते हैं और उनमें अविश्वास की भावना घर कर जाती है। अगर उनके माता पिता अलग हो जाते हैं तो उनकी सामाजिक स्थिति भी खासी विचित्र हो जाती है। वो किसी भी पारिवारिक माहौल को नहीं समझ पाते। उन्हें भावनात्मक और कानूनी दोनों तरह से कोई विरासत नहीं मिलती।
रिश्ते के प्रति सम्मान का आभाव
लिव इन रिलेशनशिप में अक्सर रिश्ते के प्रति सम्मान का आभाव देखा जाता है और ये केवल प्लेजर पर आधारित संबंध बन कर रह जाता है। अपनी आर्थिक और निजी आजादी का मजा लेने में जोड़े शादी के विचार को टालते रहते हैं। उनका आपसी विश्वास भी अक्सर कम पाया जाता है। शादी में विश्वास की वजह होती है एक दुसरे के लिए बाउंड होना पर लिव इन में आप पर कोई बंधन नहीं होता और ये अहसास आपको एक दूसरे के लिए विश्वसनीय नहीं बनाता।
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