कानपुर। भारतीय क्रिकेट टीम में शुरुआत से ही ऐसे क्रिकेटर्स रहे हें जो बड़े-बड़े गेंदबाजों को बेहतर खेलते आए हैं। इन्हीं में से एक थे दिलीप सरदेसाई। दिलीप सरदेसाई का इंटरनेशनल क्रिकेट करियर भले ही ज्यादा लंबा न रहा हो लेकिन उन्होंने अपनी बैटिंग से विरोधी टीम के गेंदबाजों में हमेशा खौफ पैदा किया। खासतौर से वेस्टइंडीज के खिलाफ सरदेसाई ने काफी यादगार पारियां खेलीं। भारत को विंडीज के खिलाफ पहली टेस्ट सीरीज जीत दिलाने में भी सरदेसाई का अहम योगदान रहा।
पाकिस्तान के खिलाफ किया फर्स्ट क्लाॅस डेब्यू
दाएं हाथ के बल्लेबाज सरदेसाई ने अपने क्रिेकट करियर की शुरुआत 1960 में की थी। उस वक्त पाकिस्तान टीम भारत दौरे पर थी और मेहमान टीम को इंडिया यूनिवर्सिटीज के खिलाफ एक मैच खेलना था। पुणे में खेला गया यह मुकाबला सरदेसाई का पहला फर्स्ट क्लाॅस मैच था जिसमें उन्होंने 87 रन बनाए। इसके बाद सरदेसाई ने बोर्ड प्रेसीडेंट इलवेन की ओर से खेलते हुए पाक के खिलाफ ही पहली फर्स्ट क्लाॅस सेंचुरी जड़ी। इसके बाद दिलीप को बाॅम्बे (अब मुंबई) की रणजी टीम में खेलने का मौका मिला।
डेब्यू टेस्ट में हुए हिटविकेट
सरदेसाई की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें भारतीय टेस्ट टीम में बहुत जल्द जगह मिल गई। साल 1961 में इंग्लैंड के खिलाफ कानपुर के ग्रीनपार्क मैदान पर सरदेसाई ने टेस्ट डेब्यू किया। उस वक्त तक दिलीप ने सिर्फ चार फर्स्ट क्लाॅस मैच खेले थे हालांकि सरदेसाई अपने डेब्यू टेस्ट को यादगार नहीं बना पाए और पहली पारी में 28 रन बनाकर हिटविकेट आउट हो गए।
सरदेसाई के सामने साथी खिलाड़ी पहुंचा अस्पताल
दिलीप सरदेसाई ने अपने टेस्ट करियर में उन गेंदबाजों का सामना किया है जो बल्लेबाजों को घायल कर अस्पताल पहुंचा देते थे। साल 1962 की बात है विंडीज के खिलाफ एक टेस्ट में भारतीय युवा कप्तान नाॅरी काॅन्ट्रैक्टर और दिलीप सरदेसाई एक साथ बैटिंग कर रहे थे। उस वक्त कैरेबियाई गेंदबाज चार्ली गि्रफिथ अपनी बाउंसर से बड़े-बड़े बल्लेबाजों को घुटने पर ला देते थे। गि्रफिथ ने ऐसा ही कुछ नारी काॅन्ट्रैक्टर के खिलाफ किया, चार्ली की एक गेंद काॅन्ट्रैक्टर के सिर पर आकर लगी और वह जमीन पर गिर पड़े। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया और यह चोट इतनी गंभीर थी कि काॅन्ट्रैक्टर दोबारा भारत के लिए कभी नहीं खेल पाए। यह हादसा सरदेसाई के आंखों के सामने हुआ था उसके बावजूद वह घबराए नहीं। काॅन्ट्रैक्टर के टीम से बाहर होने के बाद उन्होंने चार्ली जैसे गेंदबाजों का बड़ा बहादुरी से सामना किया और रन बनाए।
9 घंटे बैटिंग कर ठोंकी डबल सेंचुरी
सरदेसाई ने टेस्ट क्रिकेट में सेंचुरी से पहले डबल सेंचुरी बनाई थी। साल 1965 की बात है न्यूजीलैंड टीम चार मैचों की टेस्ट सीरीज खेलने भारत आई थी। सीरीज का तीसरा टेस्ट मुंबई में खेला गया जो सरदेसाई की बेहतरीन पारी के लिए याद किया जाता है। इस मैच में भारत की पहली पारी 88 रन पर सिमट चुकी थी, अब भारत को फालोऑन खेलने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस बार टीम इंडिया की बैटिंग लाइनअप की मजबूत कड़ी बने सरदेसाई। दिलीप ने दूसरी पारी में 9 घंटे से ज्यादा बैटिंग करके नाबाद 200 रन बनाए, यह उनके करियर का पहला दोहरा शतक था। सरदेसाई की इस पारी की बदौलत भारत ने 463 रन पर पारी घोषित की जवाब में कीवी टीम ने 8 विकेट पर 80 रन बनाए और मैच ड्रा हो गया।
विंडीज के खिलाफ जितवाई भारत को पहली टेस्ट सीरीज
साल 1971 में भारत ने विंडीज के खिलाफ पहली टेस्ट सीरीज जीती थी। इस जीत के हीरो सरदेसाई थे। पांच मैचों की ये सीरीज भारत ने 1-0 से अपने नाम की। इस सीरीज में सरदेसाई ने 642 रन बनाए थे जिसमें एक दोहरा शतक भी शामिल है। पहले टेस्ट में दिलीप ने 212 रन की पारी खेली थी। इस जीत के बाद सुनील गावस्कर ने कहा था कि, सरदेसाई ने हमें सिखाया था कि विंडीज तेज गेंदबाजों को कैसे खेलना है।'
भारत के लिए खेले सिर्फ 30 टेस्ट
सरदेसाई का टेस्ट करियर करीब 11 साल तक चला। इस दौरान दिलीप ने भारत के लिए 30 टेस्ट मैच खेले जिसमें 39.23 की औसत से 2001 रन बनाए। इसमें पांच शतक और 9 अर्धशतक भी शामिल हैं। बता दें दिलीप ने अपने करियर में सिर्फ दो छक्के लगाए हैं।
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