Diwali 2020 Do and Donts: दीपावली भारतीय संस्कृत का प्रमुख त्यौहार है इसके दो दिन पूर्व धनतेरस एवं दो दिन बाद भैया-दूज का पर्व मनाया जाता है। दीपावली पर्व के साथ इन दो पर्वों का भी भारतीय संस्कृत में विशेष महत्व है। दीपावली पर्व के दिन ही माता लक्ष्मी का अवतार इस सृष्टि में हुआ था। माता लक्ष्मी की कृपा मुद्रा के रुप में, प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रुप में सबके साथ रहती है। सोना-चाँदी वाली धातुओं में इनका विशेष निवास माना जाता है। इसी दिन लक्ष्मी जी की पूजा होती है और दीपोत्सव भी किया जाता है। इसे खुशियों का भी त्यौहार माना जाता है। भगवान राम जब रावण का वध करके माता सीताजी के साथ अयोध्या आये तो अयोध्यावासियों ने नगर को सजाया और लाखों द्वीप जलाकर हर्षोल्लास के साथ भगवान राम के आने की खुशी को मनाया। इसी दिन पांडुवों को अपना राज्य वापस मिला था और खुशी में नगर को दीपों से सजाया गया। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने भी नरकासुर का संहार किया था। आताताई के मरने से लोग खुशी में दीपोत्सव को उत्साह से मनाया। इसी दिन राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक हुआ। दीपों से नगर को सजाया गया और खुशियाँ मनायी गयी...
सिक्खों के छठवें गुरु हरगोविंद सिंह को मुगलों की कैद से इसी दिन आजाद किया गया। इस दिन सिक्ख धर्म के अनुयायी बंधनमुक्ति दिवस के रुप में दीपोत्सव का पर्व मनाते है। दीपावली पर्व मुख्य रुप से हिन्दु, बौद्ध, जैन एवं सिक्ख समुदाय का विशेष पर्व माना जाता है। इस पर्व के मनाये जाने की भारतीय संस्कृति की एक लम्बी परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है इसे हम पूर्ण निष्ठा से मनाते है। इस पर्व को असत्य पर सत्य की विजय के रुप में भी मनाया जाता है। जीवन के घने अंधकार को छोंड़कर प्रकाश की ओर ले जाने वाला त्यौहार है। अज्ञानता को ज्ञान के विजय के रुप में मनाया जाता है। हम सभी अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ते है-तमसो मा ज्योतिर्गमय अर्थात हे माँ मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर अग्रसर करो।
इस त्यौहार में क्या खरीदना रहेगा उचित ?
धनतेरस पर कुबेर यंत्र महालक्ष्मी यंत्र लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ति लाना शुभ होता है। सोना-चाँदी के सिक्के खरीदना चाँदी के बरतन खरीदना विशेष शुभ होता है। इसके अतिरिक्त सोने-चाँदी का कोई चौकोर टुकड़ा खरीदे। जिसके एक तरफ ऊँ लिखा हो और दूसरे तरफ स्वाष्तिक का चिह्न बना हो। इसकी पूजा करके तिजोरी या दुकान या पर्स में रखने पर लक्ष्मी जी सदैव साथ रहती है। धनतेरस के दिन यदि धनिया के बीज खरीदे और दीपावली के दिन इसकी पूजा करे कुछ दानें तिजोरी में रख दें तो यह बहुत शुभ होता है लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है।
क्या न खरीदें?
विद्वानों का मत है कि धनतेरस के दिन लोहा नहीं खरीदना चाहिए। नये मिट्टी के बर्तन भी नहीं खरीदने चाहिए। पुरानी मिट्टी के बर्तन व दिये खरीद सकते है। धनतेरस के दूसरे दिन या दीपावली वाले दिन मिट्टी से बने वस्तुओं को खरीदा जा सकता है।
कैसे और कब करें पूजा जिससे महालक्ष्मी हों प्रसन्न?
दीपावली के दिन लक्ष्मी जी की विशेष पूजा होती है।शाम को गोधूली के बाद लक्ष्मी जी की पूजा का विशेष विधान है। 17:28 से 20:07 तक प्रदोष काल है पूजा का शुभ मुहूर्त 17:28 से 19:24 तक है पूजा का समय 1 घंटा 56 मिनट का है इसमें पूजा पूर्ण कर लें।यदि देर हो गई हो तो इसमें पूजा का आरंभ अवश्य कर लें। पूजा प्रारम्भ करने से पहले लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति को अच्छे से सजाये। कुबेर जी की भी मूर्ति को पास रखें। सोने-चाँदी के गहने सिक्के मिठाईयाँ आदि भी पास रखें उसी के साथ धनियाँ वाली कोई मिठाई या सूखी मिठाई ही चढ़ायें। इसके बाद लक्ष्मी-गणेश एवं कुबेर यंत्र हो तो पास रख दें। लक्ष्मी गणेश जी की पूजा करें। यदि घर में कोई बच्चा पढाई कर रहा हो तो उसकी पुस्तकें, कापी और पेन भी पास रख दें, फिर लक्ष्मी, गणेश एवं कुबेर जी का आह्वान करके पूजा करें। इससे माँ लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहेगी कुबेर जी धनवर्षा करते रहेगें।
द्वारा: ज्योतिषाचार्य डॉ0 त्रिलोकी नाथ
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