भारतीय जनमानस में मान्यता है कि आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भगवान विष्णु 4 जीने के लिए योग निद्रा में शयन करने चले जाते हैं। यह समय नारायण के शयन एवं नर के जागरण का काल है। भगवान भुवन भास्कर ओरिया जब तुला राशि में प्रवेश करते हैं, यानी कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु का स्वर्ण काल समाप्त होता है।
स्कंद पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के विश्राम करने की अवधि के दौरान धार्मिक कार्य नहीं होते। यह कॉल चातुर्मास कहलाता है। इसे कहीं पर देव शयनी एकादशी, कहीं महा एकादशी, कहीं आषाढ़ी एकादशी तो कहीं पदमनाभा एकादशी कहा जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और श्री हरि की आराधना की जाती है।
पंडित दीपक पांडेय
Spiritual News inextlive from Spiritual News Desk