चप्पलों की माला
देश में जितने मंदिर है उतनी मान्यताएं हैं। कर्नाटक के कुलबर्गी जिले के आलंदा तहसील में एक छोटा सा गोला गांव है। इस गांव की खासियत है यहां का लकम्मा देवी का मंदिर। इस मंदिर में जिस तरह से पूजा किया जाता है। उसके बारे में जनाकर आप भी हैरान हो जाएंगे। इस मंदिर में देवी माँ खुश करने के लिए उन्हें चप्पलों की माला पहनाते हैं। यही नही मंदिर के सामने एक नीम का पेड़ है कहतें है की उस पेड़ पर चप्पल बांधने से सारी मुरादें पूरी होती है।
हिंदू और मुस्लिम लगाते हैं लाइन
इस मंदिर में बड़ी संख्या में भक्तों का तांता लगता है। लोग अपनी मुराद के लिए चप्पलों की माला लेकर आते हैं और देवी को चढ़ाते हैं। इस मंदिर में सिर्फ हिन्दू ही नही बल्कि मुसलमान भी पूजा करने आते हैं। यहां सबसे ज्यादा भीड़ दिवाली के बाद होती है। जब पंचमी में एक विशेष मेला लगता है और उस दौरान दुसरे राज्यों से भी लोग बड़ी संख्या में यहां माता के दर्शन करने आते हैं। जिनकी कोई मुराद होती है वो अपनी आस्था के अनुसार नीम के पेड़ पर चप्पल बांधते है और जिनकी मुराद पूरी हो जाती है वो चप्पल की माला पहनाते हैं।
इस मंदिर का इतिहास
इस गांव में रहने वाले स्थानीय लोगों की मानें तो मंदिर काफी पुराना है। एक बार देवी मां यहां घूमने आईं थीं। जब माँ एक बार पहाड़ी पर टहल रही थी। उसी वक्त दुत्तारा गांव का देवता की नजर देवी पर पड़ी और उन्होंने उनका पीछा करना शुरू कर दिया। उसके बाद देवी उनसे बचने के लिए अपने सर को उन्होंने जमीन में धंसा लिया। तब से लेकर आज तक माता की मूर्ति उसी तरह इस मंदिर में पड़ी हुई है। इस मंदिर में आज भी देवी के पीठ की पूजा की जाती है।
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