सर्वप्रथम स्पर्श किया
अजमेर के देवमाली गांव में स्थित देवमाली मंदिर काफी प्रसिद्ध है। यह गुर्जर समाज के आराध्य देव भगवान देवनारायण की कर्म स्थली के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर के प्रति गुर्जर समाज की एक अनोखी आस्था है। यहां पर इंसानों के साथ इंसानों के साथ ही चट्टानें भी भगवान को नमन करती हैं। माना जाता है कि उसके किनारे मौजूद ऊंची-ऊंची चट्टाने मंदिर की वजह से ही आज झुकी हुई हैं। पहाड़ी के पास स्थित इस मंदिर की स्थापना को लेकर कहा जाता है कि जब भगवान देवनारायण स्वर्ग से धरती पर आए थे इस जगह को उन्होंने सर्वप्रथम स्पर्श किया था।
घर में ताला नहीं लगता
इसकी वजह से ही आज पेड़ पौधे चट्टानें सभी उनके आगे झुकी हैं। देवमाली गांव में लोग जो भी काम करते हैं सब भगवान देवनारायण्ा के नाम पर ही करते हैं। इस गांव में कोई चोरी नहीं करता है। यहां पर पूरे गांव में किसी भी घर में ताला नहीं लगता है। इस गांव के लोग रह वह काम को बचते हैं जिससे कि उनके भगवान उन्हें सजा देने को मजबूर हों। एक बार यहां पर कुछ लोगों ने मंदिर में चोरी की कोशिश की लेकिन भगवान के कोप से उन्हें चोरी करने के बाद बाहर निकलने का रास्ता ही नहीं मिला था।
आधुनिकता से दूर
इसे लोगों की आस्था का उदारहण ही माना जाता है। इस गांव के लोगों के पास अपनी खुद की जमीन नहीं है। गांव की पूरी जमीन सरकारी कागजों में मंदिर के नाम पर दर्ज है। इतना ही नहीं भगवान देवनारायण्ा को प्रकृति से प्रेम होने की वजह से आज भी लोग यहां पर कच्चे घरों में रहना पसंद करते हैं। इतना ही नहीं यहां के लोग आधुनिकता से परहेज करते हैं। लोगों का मानना है कि इससे उन्हें एहसास होता है कि वह भगवान के घर में रह रहे हैं। लोगों का मानना है कि भगवान देवनारायण उनकी हर एक इच्छा को पूरा करते हैं।Weird News inextlive from Odd News Desk