कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है जो कि इस वर्ष मंगलवार 12 नवम्बर को है। 54 वर्षों बाद शनि धनु राशि और सूर्य तुला राशि पर है। यह संयोग शास्त्रों में भी महत्वपूर्ण माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा को दान से निरोगी काया और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
मान्यता है कि भगवान श्री हरी का इस दिन मतस्यावतार हुआ था। शास्त्रों में इस दिन गंगा स्नान दान और दीपदान यज्ञ आदि का विशेष महत्व है। संध्याकाल में गंगा के पानी में दीपदान भी किया जाता है।
गंगा स्नान के बाद करें पूजा
गंगा स्नान कर तिलांजलि अर्पित करें। वहीं दान की बात करें तो कंबल दान करने से भी घर में सुख-समृद्धि आती है। मान्यता है कि इस दिन पुष्कर तीर्थ का फल प्राप्त होता है। केला, खजूर, नारियल, अनार, संतरा, बैगन आदि का दान भी उत्तम होता है।
ब्रह्ममणों को करें दान
ब्राह्मणों, बहनों, भांजों, बुआ व गरीब को दान करने से फल मिलता है। पीड़ीत व आभा से आए अतिथि को दान देने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। दीपदान को गंगा घाट न जा पाने वाले भक्त घाट पर भगवान विष्णु के चित्र या प्रतिभा के सामने दीपक जला करके पूजन करें।
तीनों देव गंगा स्नान करने आते हैं
मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश खुद कार्तिक पूर्णिमा को रूप बदलकर गंगा जी में स्नान करने आते हैं। इसिलिए इस दिन मंदिरों, चौराहों, गलियों व पीपल के वृक्षों और तुलसी के पौधों के पास दीपक जलाने का महत्व है।
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चंद्रमा उदय पर दान करें ये
कार्तिक पूर्णिमा को 6 कृतिकाओं का पूजन करके रात में दान करने का विशेष महत्व है। कहते हैं ऐसा करने से भगवान शिव विशेष फल देते हैं। मान्यता है कि गाय, गजराज, घोड़ा, रथ और घी के दान से सम्पत्ति का लाभ होता है।
-ज्योतषाचार्य पंडित दीपक पांडेय
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