दान लेने के लिए दण्डी संन्यासी भी लेकर आ रहे हैं कार्ड स्वैपिंग मशीन
नोटबंदी के चलते देशभर में कैशलेस इकॉनमी का दौर तेज हो गया है। ऐसे में संगम तीरे लगने वाले आस्था के सबसे बड़े माघ मेले में आस्था का कैशलेस रंग दिखना लाजमी है। दंडी स्वामी व संन्यासियों ने इसकी तैयारी भी कर ली है। मेले में रामकथाओं या अन्य धर्मार्थ कार्यो के दौरान भक्तों की सहूलियत के लिए सन्यासी इस बार अपने साथ स्वैपिंग मशीन लेकर आ रहे हैं। इसके जरिए भक्तों को श्रद्धा की भेंट चढ़ाने में आसानी होगी।
माघ मेला में होते हैं बड़े धार्मिक आयोजन
बता दें कि मेले में दंडी संन्यासियों के नगर में सर्वाधिक रामकथा व श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन होता रहा। यह आयोजन इस बार भी होगा, लेकिन इसमें मिलने वाली भेंट का स्वरूप बदला होगा। बड़े- बड़े यजमान जो कल्पवास के लिए शिविरों में आएंगे उनके लिए अलग से स्वैपिंग मशीन की व्यवस्था की जाएगी। महीने भर से ज्यादा समय तक लगने वाले इस मेले में हजारों कल्पवासियों की की दुनिया बसेगी। इसलिए श्रीरामकथा व श्रीमद्भागवत कथा आयोजन के साथ ही कई शिविरों में मशीन की भी सुविधा दी जाएगी, ताकि प्लास्टिक कार्ड से कैश की कमी की समस्या हल हो जाए।
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12 जनवरी से शुरू होगा सिलसिला
जनवरी में 12 तारीख को मेले के पहले प्रमुख स्नान पर्व पौष पूर्णिमा से पहले मेला क्षेत्र में दंडी सन्यासी पहुंच जाएंगे। जबकि मकर संक्रांति के स्नान के बाद शिविरों में कथाओं का सिलसिला शुरू होगा। खासतौर से चरखी दादरी आश्रम, नागेश्वर धाम व शंकर आश्रम के शिविरों में कथाओं का आयोजन होगा। कथाओं के दौरान चढ़ावे और अनुष्ठान जैसे कार्यो में कल्पवासियों की मुश्किलों को देखते हुए मशीनें रखी जाएगी। इनमें से चरखी दादरी अन्न क्षेत्र के दंडी सन्यासी खुद अपने साथ चार स्वैपिंग मशीन लेकर आएंगे। इसके लिए हरियाणा के हिसार स्थित आश्रम में बैंक के अधिकारियों से मशीन के लिए संपर्क किया गया है। वहीं अन्य शिविरों में मशीन मेला क्षेत्र में पहुंचने पर मंगाई जाएगी.
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