नीतीश कटारा मर्डर केस में उत्तर प्रदेश के पालिटीशियन डीपी यादव के बेटे विकास यादव और दो अन्य के पनिशमेंट को चुनौती देने वाली अपील पर दिल्ली हाईकोर्ट फ्राइडे को अपना ऑर्डर सुना सकती है. हाई कोर्ट इस मामले में विकास और दो के कल्पिट होने की बात पहले ही एक्सेप्ट कर चुकी है. विकास, उसके कजिन विशाल और सुखदेव पहलवान कटारा के किडनैप और मर्डर के मामले में लाइफ इंप्रिजनमेंट की सजा काट रहे हैं. कटारा का 16 और 17 फरवरी 2002 की मिड नाइट को मर्डर हो गया था, क्योंकि विकास को अपनी सिस्टर भारती के साथ नितिश का अफेयर एक्सेप्ट नहीं था. भारती सपा के पूर्व एमपी डीपी यादव की डॉटर हैं.
आज जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस जे आर मिड्ढा की बेंच इस 13 साल पुराने मामले में सजा को चैलेंज करने वाली पिटीशंस पर अपना डिसीजन देगी. इस मामले की हियरिंग आठ दिसंबर को पूरी कर ली गयी थी , जो तीनों दोषियों की अप्रैल 2014 को सुनाई गई सजा पर बेस्ड है. इनमें तीनों कल्पिट के लिए मर्सीफुली सोच कर डेथ सेंटेस से छूट की डिमांड की गयी थी. जबकि नितीश की मदर और दिल्ली पुलिस ने इस केस को 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' बताते हुए डेथ सेंटेंस बरकरार रखने को कहा है.
ये है मामला
साल 2002 में 16/17 फरवरी की रात नीतीश का मर्डर हुआ था. इस मर्डर को ऑनर किलिंग माना जाता है क्योंकि नीतीश का अफेयर भारती के साथ था जो डीपी यादव की डॉटर हैं. मर्डर की रात नितीश और भारती को एक वेडिंग पार्टी में साथ डांस करते देख कर भाई विकास यादव को गुस्सा आ गया और वो अपने कजिन विशाल के साथ नितीश को धोखे से अपनी टाटा सफारी में लेकर चल दिया. बाद में दोनों ने नितीश का मर्डर करके उसकी बॉडी को बुलंदशहर के खुर्जा इलाके में फेंक दिया.
जब पूरी रात बीत जाने के बाद भी वो लोग वापस नहीं आए तो परेशान भारती ने नीतीश की मदर नीलम कटारा को इस बात की खबर दी थी कि उसके भाई नीतीश को अपने साथ ले गए हैं. जिस पर नीलम ने पुलिस में केस रजिस्टर कराया. जिसके बाद विकास और विशाल को मध्य प्रदेश से अरेस्ट किया गया था. भारती को उसकी फेमिली ने इंडिया से बाहर भेज दिया. और कई साल बाद उनको वापस बुला कर उसकी शादी कर दी. लंबी लीगल कार्रवाई चलने के बाद कोर्ट में साबित हुआ कि मर्डर विकास और विशाल ने ही किया था. इसके बाद उन्हें सजा सुनाई गयी फिल्हाल जेल में बंद इन दोनों के डेथ सेंटेस पर हियरिंग के बाद फ्राइडे को डिसीजन लिया जाएगा.
कौन हैं डीपी यादव
स्टूडेंट पॉलिटिक्स से स्टार्ट करने वाले डीपी यादव सपा, बसपा और बीजेपी के मेंबर भी रह चुके हैं. वह चार बार एमएलए रह चुके हैं और एक बार एमपी और राज्यसभा मेंबर भी रह चुके हैं. 2004 में भी डीपी बीजेपी में जाना चाहते थे लेकिन पार्टी में विरोध के कारण उन्हें मना कर दिया गया था. 2009 में वह बसपा के टिकट पर बदायूं से लोकसभा का चुनाव लड़े थे लेकिन सपा के धर्मेंद्र यादव ने उन्हें हरा दिया था. 2012 असेंबली इलेक्शन से पहले बसपा ने उन्हें निकाल दिया तो वह सपा में शामिल होने पहुंचे लेकिन अखिलेश यादव उन्हें पार्टी में लेने के लिए रेडी नहीं हुए.
फिलहाल वह नेशनल परिवर्तन दल नाम की एक पार्टी के प्रसिडेंट हैं जिसे उन्होंने खुद ही 2007 में फॉर्म किया था. बताते हैं ईर्स्टन यूपी के गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बागपत, मेरठ, बुलंदशहर और बदायूं में उनका अच्छा जनाधार है.
फरवरी 2002 के नितीश कटारा मर्डर केस को अपने बेटे विकास के फेवर में करने के लिए उन पर इललीगल टेक्ट्सि और विटनेसेज को इफेक्ट करने के एलिगेशन लगते रहे हैं. इस केस के बाद से डीपी यादव का पालिटिकल ग्राफ गिरने लगा और किसी टाइम यूपी में बाहूबली पालिटीशियन की पहचान रखने वाले यादव अब हाशिए पर नजर आते हैं.
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