क्या है मामला
केन्द्र सरकार और दिल्ली वक्फ बोर्ड ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में दलील दी थी कि जामा मस्जिद के शाही इमाम के बेटे का उत्तराधिकारी के तौर पर नायब इमाम की ताजपोशी करना गैरकानूनी है. ताजपोशी समारोह 22 नवंबर को होना है. अदालत ने दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और इस बारे में आज अपना फैसला सुनाआ. गौरतलब है कि इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नहीं बुलाने और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को न्यौता भेजने को लेकर शाही इमाम अहमद बुखारी पहले ही विवादों में हैं. दायर याचिकाओ में यह भी कहा गया था कि बुखारी ने अपने पद का गलत उपयोग कर रहे हैं और जामा मस्जिद के आसपास अराजकता भी फैला रखी है. यह भी कहा गया कि 2005 के हाई कोर्ट के ऑर्डर के खिलाफ जाकर बुखारी जामा मस्जिद के पास कई दुकानें चलवा रहे हैं.
बोर्ड ने एक्शन क्यों नहीं लिया
कल सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बोर्ड से पूछा की अगर जामा मस्जिद बोर्ड के अंडर में है तो बोर्ड ने इस मसले में अब तक कोई एक्शन क्यों नहीं लिया. इस पर वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में कहा था कि इसके लिए एक बैठक का आयोजन किया जाएगा, जिसमें निर्णय लिया जाएगा कि बुखारी के खिलाफ क्या एक्शन लिया जाए. सरकार को रिप्रजेन्ट कर रहे अडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया था कि समारोह का आयोजन जामा मस्जिद के अलावा कहीं और किया जा सकता जामा मस्जिद के शाही इमाम सैय्यद अहमद बुखारी ने 30 अक्टूबर को घोषणा की थी कि उनका 19 वर्षीय बेटा शाबान अगला शाही इमाम बनने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
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