नई दिल्ली (एएनआई)। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा चल रही जांच के बीच केजरीवाल सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। मौजूदा आबकारी नीति समाप्त होने में केवल दो दिन शेष हैं। इस बीच दिल्ली सरकार ने छह महीने के लिए खुदरा शराब की बिक्री की पुरानी व्यवस्था पर वापस जाने का फैसला किया है। आबकारी नीति 2021-22, जिसे 31 मार्च के बाद दो बार दो-दो महीने के लिए बढ़ाया गया था, 31 जुलाई को समाप्त हो जाएगी। हालांकि, मसौदा नीति को मंजूरी के लिए उपराज्यपाल वीके सक्सेना के पास भेजा जाना बाकी है।

उप-राज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की
दिल्ली में केंद्र और आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के बीच तनावपूर्ण संबंध पिछले हफ्ते खराब हो गए जब उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 की सीबीआई जांच की सिफारिश की, जिसमें उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आबकारी विभाग का प्रभारी बनाया गया था। इस कदम के ठीक बाद, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि उपराज्यपाल "झूठे आरोप" लगा रहे हैं और आप के नेता "जेल से नहीं डरते"।

सिसोदिया पर भ्रष्टाचार का आरोप
उपराज्यपाल का यह कदम इस मामले पर दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार द्वारा सौंपी गई एक रिपोर्ट के बाद आया है। रिपोर्ट जो 8 जुलाई को प्रस्तुत की गई थी। उसमें सिसोदिया पर "किकबैक" और "कमीशन" के बदले में शराब की दुकान के लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ प्रदान करने और हाल के पंजाब चुनावों में इस्तेमाल किए गए धन का आरोप लगाया गया है।

कांग्रेस कर चुकी इस्तीफे की मांग
25 जुलाई को, दिल्ली कांग्रेस ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें शहर सरकार की आबकारी नीति में नियमों के कथित उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों पर उनके इस्तीफे की मांग की गई थी। पटपड़गंज में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता बैनर लिए जमा हो गए और सिसोदिया और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नारेबाजी की। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अनिल कुमार ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग के प्रभारी मंत्री सिसोदिया शराब ठेकेदारों के साथ "भ्रष्ट सौदों" के लिए सीधे जिम्मेदार हैं।

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