दो साल पहले लागू कर दिये जाऐंगे बीएस 6 के मानक
दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए आयल मार्केटिंग कंपनियों के साथ सलाह-मशविरे के बाद वाहनों के लिए बीएस-6 मानक वाले ईंधन का इस्तेमाल करने का फैसला किया गया है। इन कंपनियों से कहा गया है कि वे 1 अप्रैल, 2019 से पूरे दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में बीएस-6 ईंधन उपलब्ध कराने की संभावना तलाशें। मंत्रालय का मानना है कि नए मानक को लागू करने से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण को कम करने में काफी मदद मिलेगी।
जनवरी 2016 में सरकार ने दिया था आदेश
जनवरी 2016 में केन्द्र सरकार ने 1 अप्रैल, 2020 से देश भर में बीएस-6 मानक वाले ईंधन का इस्तेमाल शुरू करने का फैसला किया था लेकिन उस समय ऑटो कंपनियों और पार्ट्स निर्माताओं ने इस संबंध में सभी जरूरी तैयारी पूरी होने को लेकर संदेह जताया था। कंपनियों को यकीन नहीं है कि देश की रिफाइनरियां अगले साल अप्रैल तक बीएस-6 मानक वाले ईंधन का उत्पादन शुरू कर पाएंगी। सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
क्या है बीएस6
बीएस यानी भारत स्टेज उत्सर्जन मानक है, जिसे वर्ष केंद्र सरकार ने 2000 में शुरू किया था। इसका उद्देश्य चार पहिया वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करना और इस मानक के जरिये वातावरण में घुल रहे जहर पर रोक लगाना था। सीपीसीबी द्वारा समय-समय पर इसके कई मानक जैसे बीएस-3, बीएस-4 और अब बीएस-6 तय किए हैं। बीएस-6 मानक लागू करने से उत्सर्जन में काफी कमी आएगी।
बीएस-6 के फायदे
विशेषज्ञों का कहना है कि बीएस-4 के मुकाबले बीएस-6 डीजल में प्रदूषण फैलाने वाले खतरनाक पदार्थ 70 से 75 फीसदी तक कम होते हैं। बीएस-6 मानक लागू होने से प्रदूषण में काफी कमी होगी। खासकर डीजल वाहनों से होने वाले प्रदूषण में बड़ी कमी आएगी। नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड सल्फर डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर के मामले में बीएस-6 स्तर का डीजल काफी बेहतर होगा। यही वो खतरनाक प्रदूषक पदार्थ हैं जिनसे कैंसर, अस्थमा और फेफड़ों की तमाम बीमारियां होती हैं।
कार्बन उत्सर्जन में आएगी कमी
बीएस-6 नियम आने से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। 1 अप्रैल 2017 से ही पेट्रोलियम मंत्रालय ने पूरे देश में बीएस-IV ग्रेड के पेट्रोल और डीजल की बिक्री शुरू की थी। अब मिनिस्ट्री ऑफ पेट्रोलियम एंड नैचुरल गैस ने भारत स्टेज-6 फ्यूल नॉर्म को 1 अप्रैल 2018 से अमल में लाने का निर्णय लिया है। पहले यह नॉर्म 2020 से लागू किया जाना था। सीएसई ने इस कदम की सराहना करते हुए इसे प्रदूषण को कम करने में मददगार बताया है।
कैसा होगा बीएस-6 फ्यूल
बीएस-6 फ्यूल से सल्फर की मात्रा बीएस-4 से 5 गुना तक कम होगी। यह काफी क्लीन फ्यूल है। इस फ्यूल के इस्तेमाल से सड़कों पर चल रही पुरानी गाड़ियों में भी फैल रहा प्रदूषण कम होगा। बीएस-6 गाड़ियों में भी एडवांस एमिशन कंट्रोल सिस्टम फिट होगा। हालांकि, इसका पूरा लाभ तब मिलेगा, जब गाड़ियां भी पूरी तरह से बीएस-6 टेक्नोलॉजी आधारित तैयार की जाएंगी। सीएसई के मुताबिक, इंडस्ट्री को इस दिशा में कदम आगे बढ़ाने चाहिए।
2000 में की थी बीएस मानक की शुरुआत
वायु प्रदूषण फैलाने वाले मोटर गाड़ियों सहित सभी इंजन वाले उपकरणों के लिए भारत चरण उत्सर्जन मानक भारत स्टेज की शुरुआत केंद्र सरकार ने वर्ष 2000 में की थी। इसके विभिन्न मानदंडों को समय और मानकों के अनुसार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन के मंत्रालय के तहत आने वाले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर लाया जाता है। भारत चरण यानी बीएस मानदंड यूरोपीय नियमों पर आधारित हैं। ये एमिशन स्टैंडर्ड केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाता है जो गाड़ी में लगे इंजन की प्रदूषण क्षमता को बताता है।
यूरोपियन तर्ज पर हैं भारत के इंजन मानक
भारत स्टेज के मानक यूरोपियन मानक यूरो 4 और यूरो 6 पर आधारित है। इसी की तर्ज पर इसे अमल में लाया जाता है। ये मानक दुनिया भर में ऑटोमोबाइल कंपनियां इस्तेमाल करती हैं। इनसे ये पता चलता है कि कोई वाहन वातावरण को कितना प्रदूषित करता है।
यहां होती है बीएस-4 ईंधन की आपूर्ति
वर्तमान में जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान के कुछ हिस्सों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तर भारत में बीएस-4 ईंधनों की आपूर्ति की जा रही है, जबकि देश के बाकी हिस्से में बीएस-3 ईंधन की आपूर्ति की जा रही हैं।
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