-कई स्कूलों में भेजा गया टूटा हुआ फर्नीचर
बरेली: जूनियर हाईस्कूलों में बच्चों को पिछले वर्ष तो फर्नीचर नसीब नहीं हो सका लेकिन इस बार नए सत्र में फर्नीचर भेजा गया तो शिक्षक नेताओं ने उसकी गुणवत्ता पर सवाल उठा दिए. ज्ञात हो पिछले वर्ष से शिक्षा विभाग डिस्ट्रिक्ट के 140 स्कूलों में टाट पट्टी की जगह पर फर्नीचर लगाने की व्यवस्था करने में जुटा है.
स्कूल बायज भेजा बजट
शासन ने प्रति जूनियर हाईस्कूल फर्नीचर के लिए 1,56,100 रुपये का बजट दिया भेजे. फर्नीचर की आपूर्ति के लिए ऑनलाइन टेंडर निकाले गए, लेकिन नियमानुसार टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं होने से आपूर्ति लटक गई. बीतते सत्र में टेंडर प्रक्रिया जैसे तैसे पूरी हुई. कार्यदायी संस्था अब थ्री सीटर 41 जोड़ी डेस्क व बैंच की आपूर्ति भेज रही है.
सत्यापन के लिए चार सदस्यीय टीम
फर्नीचर आपूर्ति के सत्यापन के लिए प्रशासन की ओर से चार सदस्यीय कमेटी गठित की है. जिसमें बीएसए तनुजा त्रिपाठी, लेखाधिकारी बेसिक परशुराम ओझा, खंड शिक्षाधिकारी मुख्यालय राजीव श्रीवास्तव, डीसी निर्माण अरविंद पाल को शामिल किया है.
फर्नीचर की हालत ठीक नहीं
प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष नरेश चंद गंगवार ने बताया कमीशनखोरी के चलते फर्नीचर की गुणवत्ता बेहद खराब है. बिथरी ब्लॉक के कई स्कूलों में टूटा-फूटा फर्नीचर पहुंचाया गया है. उप्र जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के मंडल अध्यक्ष डॉ. विनोद शर्मा ने बताया, जो फर्नीचर विद्यालयों में पहुंचा है वह ज्यादा दिन नहीं टिकेगा.
टीम ने किया ओके
सत्यापन टीम में शामिल खंड शिक्षाधिकारी मुख्यालय व डीसी ने ग्रीष्मकालीन अवकाश में फर्नीचर की गुणवत्ता परखी. उन्होंने बताया, बिथरी ब्लॉक के डोहरिया, अडूपुरा जागीर, नरियावल जूनियर हाईस्कूल को खोलवाकर फर्नीचर की जांच की गई. फर्नीचर मानक के अनुरूप मिला.