दाउद नहीं थे जो कराई जासूसी
शुक्रवार को सुभाषचंद्र बोस की जिंदगी से संबंधित कुछ फाइले सार्वजनिक होने के बाद से ही एक हलचल मच गयी है। फाइलों की मदद से नेताजी की मौत पर से तो पर्दा नहीं हटा है पर ऐसे कई राज सामने आ रहे हैं जिससे उथल पुथल हो रही है। ऐसा ही एक राज है तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा नेताजी के परिवार की जासूसी कराए जाना। फाइलों से ये पता लगा है कि ऐसा हुआ था पर क्यों हुआ था ये स्पष्ट नहीं है और जानकारी के बाद नेताजी का खफा परिवार इसकी जांच कराने की मांग कर रहा है। नेताजी के भतीजे अमिया दास के बेटे चंद्र बोस यानि बोस के पोते का कहना है कि उसके पिता कोई अपराधी दाउद इब्राहिम नहीं थे जो उनकी जासूसी कराई जाए फिर भी ऐसा हुआ तो इसके पीछे के कारणों की जांच होनी चाहिए। पता चला है कि करीब 14 लोगों को अमिया नाथ की जासूसी के लिए लगाया गया था।
कुछ पत्रों से मिलता है जासूसी का इशारा
इनमें से 55 फाइलें कोलकाता पुलिस एवं नौ इंटेलीजेंस ब्यूरो (आइबी) के पास थीं। इन फाइलों में 12,744 पन्ने हैं। इसी के साथ एक बार फिर सवाल उठा है कि क्या 18 अगस्त, 1945 को हुए विमान हादसे में नेताजी की मौत नहीं हुई थी क्योंकि बंगाल सरकार द्वारा सार्वजनिक की गई फाइलों में विमान हादसे में नेताजी की मौत की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की गई है। तत्कालीन सरकार की ओर से नेताजी के भाई शरत चंद्र बोस को जो पत्र भेजा गया था, उसमें कहा गया था कि विमान हादसे में नेताजी के मारे जाने के आधिकारिक प्रमाण नहीं मिले हैं। नेताजी के परिजनों व उनकी सेना की जासूसी कराने के भी साक्ष्य मिले हैं। यह जासूसी आजादी के बाद 1949 तक जारी रही। इसका प्रमाण नेताजी के भतीजे शिशिर बोस के अपने पिता को लिखे एक पत्र की प्रतिलिपि है। फाइलों में भारत सरकार के खुफिया अधिकारियों के हस्तलिखित नोट, नेताजी के पत्र समेत कई और दस्तावेज हैं।
परिवार को सौंपी फाइलों की सीडी
कोलकाता पुलिस म्यूजियम के परिसर में प्रात: 10 बजे आयोजित एक संक्षिप्त समारोह में कोलकाता पुलिस के आयुक्त सुरजीत कर पुरकायस्थ ने नेताजी के भतीजे शिशिर कुमार बोस की पत्नी व नेताजी रिसर्च ब्यूरो की चेयरपर्सन कृष्णा बोस एवं नेताजी के प्रपौत्र चंद्र कुमार बोस को फाइलों की नौ सीडी का सेट सौंपा। मीडिया को भी सीडी का सेट दिया गया। सीडी के इस सेट में नेताजी से जुड़ीं 64 महत्वपूर्ण फाइलों का पूरा विवरण है। आजादी के बाद से नेताजी से संबंधित जानकारियों को सार्वजनिक करने की लगातार मांग के बाद आम लोग आगामी सोमवार से म्यूजियम में मूल फाइलों एवं उनके डिजिटलाइज्ड संस्करण का अवलोकन कर सकेंगे।
शीशे लगे लकड़ी के बॉक्स में रखी गई हैं फाइलें
कोलकाता पुलिस म्यूजियम के प्रथम तल में स्थित वातानुकूलित कक्ष में शीशे लगे लकड़ी के बॉक्स में फीते से बंधी इन फाइलों को रखा गया है। पास स्थित कक्ष में रखे कंप्यूटर में डिजिटलाइज्ड रूप में फाइलों को देखा जा सकता है। 12,744 पन्नों वाली ये फाइलें 1937 के बाद की हैं। भारत सरकार को विमान हादसे में सुभाष चंद्र बोस के मारे जाने के आधिकारिक प्रमाण नहीं मिले
- कुल 12,744 पन्ने हैं इन फाइलों में
- नेताजी के परिजनों को सौंपी फाइलों की नौ सीडी
- 55 फाइलें कोलकाता पुलिस व नौ आइबी के पास थीं
- 21 से आम लोग भी देख सकेंगे मूल फाइलें
फाइलों से हुए अहम खुलासे
- फाइल नंबर एक, जोकि 1942 की है, इसमें बताया गया है कि ब्रिटिश सरकार इंडियन नेशनल आर्मी (आइएनए) की जासूसी करा रही थी।
- फाइल नंबर दो में आइएनए के जवानों की सूची है। इसके अनुसार जवानों की भी जासूसी की गई थी।
-विमान हादसे के बाद की जा रही इस जासूसी के चलते 46 आइएनए सैनिकों से पूछताछ की गई थी।
-फाइलों में इस बात की जानकारी है कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी नेताजी की जासूसी करवाई थी।Hindi News from India News Desk
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