विकीलीक्स ने एक बार फिर सनसनीखेज खुलासे किए हैं. इसके मुताबिक मुंबई पर नवंबर, 2008 में हुए टेररिस्ट अटैक के आरोपी डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी के प्रत्यर्पण को लेकर मनमोहन सिंह गवर्नमेंट कभी गंभीर नहीं थी. सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स के रहस्योद्घाटन के कारण चर्चा में आई वेबसाइट ‘विकिलीक्स’ के एक केबल में यह जानकारी दी गई है. इसके अनुसार तत्कालीन नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर एमके नारायणन ने 2009 में अमेरिकन एंबेसडर टिमोथी रोमर को बताया गया था कि हेडली के प्रत्यर्पण की मांग देश की जनता को भ्रमित करने के लिए की जा रही थी.
रोमर ने किया था आग्रह
विकिलीक्स ने जिस केबल के आधार पर यह जानकारी दी है, उसे रोमर ने 17 दिसंबर, 2009 को भेजा था. इससे पहले 16 दिसंबर, 2009 को रोमर ने नारायणन से टेलीफोन पर बातचीत में उनसे आग्र्रह किया था कि इंडियन गवर्नमेंट लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी हेडली के प्रत्यर्पण के लिए दबाव न डाले क्योंकि इसके बाद हेडली से सच उगलवाना अमेरिकन इनवेस्टिगेटर्स के लिए मुश्किल हो जाएगा. इस पर नारायणन का कहना था कि इस मुद्दे पर कुछ नहीं करने से इंडियन गवर्नमेंट की इमेज खराब होगी. गवर्नमेंट हेडली के प्रत्यर्पण के मसले पर हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए नहीं दिखना चाहती है. लेकिन रोमर ने नारायणन को समझाया कि अगर अमेरिकन ज्यूडिशियल सिस्टम के तहत हेडली की जांच की गई तो उसके खिलाफ सुबूत हासिल हो सकेंगे.
वहीं इस विवाद के बीच पूर्व नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर एम के नारायणन ने रविवार को कहा कि भारत गंभीर है और लश्कर आतंकी के प्रत्यर्पण में इंट्रेस्टेड है.
अमेरिका का दांव
अमेरिका से पाक को मिल रही सैन्य सहायता का भारत हमेशा विरोध करता रहा. हर बार यह कहकर उसका मुंह बंद करा दिया जाता है कि यह हेल्प दरअसल टेररिज्म से लडऩे के लिए दी जा रही है. मगर अब विकिलीक्स के ताजा खुलासों से पता चला है कि यह सब पाकिस्तान को भारत के खतरे से बचाने के लिए किया जा रहा है. पाकिस्तान में अमेरिकन एंबेसडर ने अगस्त, 2009 में भेजे गए एक केबल में पाक को डेढ़ अरब डॉलर की अतिरिक्त सहायता को इस बेस पर उचित ठहराया है कि यह भारत के खतरे से लडऩे के लिए जरूरी है. केबल में अमेरिकी एंबेसडर एनी पैटर्सन पाकिस्तान को हर साल 30 करोड़ डॉलर की सहायता देने की वकालत करती हुई नजर आती हैं.
गिलानी थे जिम्मेदार
अमेरिका ने हुर्रियत कांफ्रेंस के कïट्टरपंथी नेता सैयद अली शाह गिलानी को कश्मीर वार्ता की विफलता के लिए जिम्मेदार ठहराया है. विकिलीक्स द्वारा सार्वजनिक किए गए एक केबल में यह जानकारी दी गई है. गौरतलब है कि मालूम हो कि गृह मंत्री पी चिदंबरम ने अक्टूबर, 2009 में श्रीनगर में एक प्रेस कांफ्रेंस में कश्मीर समस्या के हल के लिए बातचीत शुरू करने की घोषणा की थी. विकिलीक्स के अनुसार वार्ता में शामिल हुर्रियत के उदारवादी धड़े के नेता बाद में इससे अलग हो गए थे, क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं उनका भी हश्र मौलाना फजल-उल-हक की तरह न हो. वार्ता के समर्थक मौलाना की 4 दिसंबर, 2009 को श्रीनगर में हत्या कर दी गई थी.
चीन से चिंतित थे पीएम
विकीलीक्स ने एक और खुलासा किया है. इसके मुताबिक हाल में चीन की बढ़ती हठधर्मिता ने प्राइम मिनिस्टर मनमोहन सिंह को चिंतित कर दिया था. अमेरिकन फॉरेन मिनिस्टर के साथ मुलाकात में उन्होंने इसका रहस्योद्घाटन किया था. 2009 में हुई इस मुलाकात में प्राइम मिनिस्टर ने प्रेसीडेंट बराक ओबामा के चीन दौरे में अमेरिका-चीन साझा बयान पर भी चिंता जताई थी. विकिलीक्स द्वारा सार्वजनिक किए गए एक केबल के मुताबिक इंडियन प्राइम मिनिस्टर मनमोहन सिंह का मानना था कि अमेरिका-चीन साझा बयान को साउथ एशिया में बाहरी दखलंदाजी के रूप में लिया जाएगा, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
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