इस ठेके के लिए बोली की अंतिम प्रक्रिया में डेसो रफ़ायल लड़ाकू विमान ने यूरोफाइटर के टाइफून को पछाड़ दिया.
भारत को लड़ाकू विमानों की आपूर्ति करने के लिए छह कंपनियों ने निविदाएं भेजी थीं.
डेसो रफ़ायल सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में उभर कर आई.
डेसो रफ़ायल कंपनी भारत सरकार के साथ इस ख़रीद के बारे अंतिम दौर की बातचीत करेगी. फ़्रांस के राष्ट्रपति निकोला सार्कोज़ी ने एक बयान जारी कर इस घटनाक्रम पर ख़ुशी ज़ाहिर की है.
अगर इस डील की प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तो डेसो रफ़ायल भारतीय वायु सेना को 126 जेट फ़ाइटर सप्लाई करेगी.
संवाददाताओं का कहना है कि ये विश्व की सबसे बड़े रक्षा समझौतों में से एक है और प्रतिद्वंदी कंपनी यूरोफ़ाइटर के लिए एक बड़ा झटका है.
यूरोफ़ाइटर ने पिछले साल जापान को जेट सप्लाई करने की 8 अरब डॉलर की डील भी गंवा दी थी.
दिल्ली स्थित ब्रितानी दूतावास के एक प्रवक्ता ने कहा है कि यूरोफ़ाइटर के बजाय सिर्फ़ रफ़ायल के दौड़ में रहने से वे निराश हैं.
फ़्रांस करेगा सहयोग
उधर फ़्रांस के राष्ट्रपति ने भारत के इस फ़ैसले पर संतुष्टि ज़ाहिर की है.
एक वक्तव्य जारी कर फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सार्कोज़ी ने कहा, “ये फ़ैसला एक उच्च-स्तरीय और पारदर्शी प्रतिस्पर्धा के बाद लिया गया है. रफ़ायल को उसके उच्च-स्तरीय प्रदर्शन की वजह से चुना गया. इस डील से जुड़ी सौदेबाज़ी बहुत जल्द ही शुरू होगी और फ़्रांस की सरकार इसमें अपना पूरा सहयोग देगी. इस डील के तहत फ़्रांस सरकार द्वारा प्रमाणित तकनीक भारत को दी जाएगी.”
भारत ने अगले दस वर्षों के लिए 126 लड़ाकू विमानों की ख़रीद के लिए निविदाएं मांगी थीं. इस आपूर्ति के लिए छह कंपनियों ने निविदाएं भेजी थीं.
रक्षा मामलों के जानकार राहुल बेदी ने बीबीसी से बातचीत में कहा, “ये फ़ैसला किसी को ख़ुश करने के लिए नहीं, बल्कि तकनीकी मापदंडों को ध्यान में रख कर लिया गया है. हालांकि भारत सरकार ने फ़िलहाल इस डील के लिए 10 बिलियन डॉलर का प्रावधान किया है, लेकिन इसकी क़ीमत बढ़ सकती है. भारत के लड़ाकू विमानों की बहुत सी टुकड़ियां काफ़ी पुरानी हो गई है. ऐसे में भारत को नए लड़ाकू विमानों की ज़रूरत थी.”
डेसो रफ़ायल फ़्रांसिसी कंपनी है और यूरोफ़ाइटर में जर्मनी, ब्रिटेन, फ़्रांस और इटली की हिस्सेदारी है.
यूरोफ़ाइटर का ‘टायफ़ून’ नामक लड़ाकू विमान भी इस दौड़ में शामिल था.
ब्रितानी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि इस फ़ैसले के पीछे क़ीमत निर्णायक पहलू थी.
लंबी प्रक्रिया
ब्रितानी दूतावास के बयान में कहा गया, “ये समझौता भारत और दूसरे देशों के रिश्तों का प्रतिबिंब नहीं है. इस फ़ैसले के पीछे क़ीमत एक निर्णायक पहलू था. हमें यक़ीन है कि यूरोफ़ाइर का टाइफ़ून सबसे बेहतरीन तकनीक देने में सक्षम है और भविष्य में भी सक्षम रहेगा.”
फ़्रांस के विदेशी व्यापार विभाग के एक मंत्री पियेर लेलौ ने इस डील का स्वागत करते हुए कहा कि ये फ़्रांस और उसके रक्षा विभाग के लिए एक अच्छी ख़बर है.
भारत के रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने इससे पहले कहा था कि डील की प्रक्रिया एक लंबी प्रक्रिया होगी और मार्च के अंत से पहले किसी भी डील पर हस्ताक्षर नहीं किए जाएंगें.
भारतीय रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि रफ़ायल काफ़ी सस्ती साबित हुई और भारतीय वायु सेना चूंकि पहले से ही फ़्रांस के बनाए फ़ाइटर प्लेन इस्तेमाल करती है, तो ऐसे में फ्रांस की तरफ़ झुकाव होना स्वाभाविक है.
भारत विश्व के उभरते हुए देशों में से सबसे ज़्यादा हथियारों का आयात करने वाला देश है.
National News inextlive from India News Desk