इन मेंढकों को यह नाम प्रजनन मौसम में नर मेंढक द्वारा विशेष प्रकार से पैर झटकने के तरीक़े के कारण दिया गया है.
हालांकि वैज्ञानिकों ने चेताया है कि नई प्रजातियों के इन मेंढकों में 80 प्रतिशत से भी अधिक ग़ैर संरक्षित इलाकों में हैं और उनके रहने के स्थानों को नुक़सान पहुंचाया जा रहा है.
दक्षिण भारत के जंगलों में 12 साल के शोध के बाद यह जानकारी सामने आई है.
'अप्रत्याशित खोज'
इस शोध की अगुवाई कर रहे वैज्ञानिक सत्यभामा दास बीजू ने बीबीसी की तमिल सेवा को बताया, "इतनी सारी प्रजातियों का मिलना अत्यंत अप्रत्याशित खोज है."
उन्होंने बताया, "नई प्रजातियों के नर मेंढक प्रजनन के तीन मौसमों में मादाओं को आकार्षित करने के लिए एक विशेष प्रकार का व्यवहार करते हैं जिसे वैज्ञानिक भाषा में "फुट फ्लैगिंग" कहा जाता है.
फुट फ्लैगिंग में नर मेंढक अपने पैर खींचते और झटकते हैं.
वैज्ञानिक दल की इस खोज को गुरुवार को सीलोन जर्नल ऑफ़ साइंस पत्रिका में प्रकाशित किया गया है. यह पत्रिका भारत के पश्चिमी घाट के पहाड़ों पर होने वाले शोध पर नज़र रखती है.
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