छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: मिलेनियल्स स्पीक के तहत सोमवार को मानगो शंकोसाई रोड नंबर पांच में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट द्वारा आयोजित राजनी-टी चाय चौपाल का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मिलेनियल्स से 'सरकार द्वारा दी जा रही मेडिकल सुविधाओं से कितने संतुष्ट है लोग' विषय पर युवाओं की राय ली गई. इस दौरान बोलते हुए युवा महिलाओं ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में पिछले 10 वर्ष में अभूतपूर्व कार्य हुए हैं, लेकिन उनमें और अधिक सुधार की जरूरत है. महिलाओं ने कहा कि आज भी हमारे यहां सरकारी अस्पतालों में घंटों लाइन में लगकर इलाज कराना पड़ता है. देश में मेडिकल कॉलेज की कमी है. आज भी अस्पतालों में डाक्टर नहीं हैं. इससे एक बड़े तबके को स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं. अस्पतालों को मिलने वाले बजट पर भ्रष्टाचार पांव फैलाए हुए है, जिससे मरीजों को मिलने वाली दवाओं की कालाबाजारी हो रही है. सरकारी अस्पतालों में मरीजों से कभी दवा के नाम पर तो कभी इलाज के नाम पर पैसे की उगाही की जा रही है. इसका परिणाम है कि आज 70 वर्ष के बाद भी देश के लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज स्वास्थ सेवा ही सरकारें नहीं दे पा रही हैं. देश की बीजेपी सरकार ने आयुष्मान योजना और स्वास्थ्य की योजनाओं से देश के गरीब तबके की समस्या को दूर करने का प्रयास किया है, लेकिन इसके बाद भी देश में अगर सबसे अधिक किसी विभाग में सुधार की जरूरत है तो वह निश्चित रूप से देश के स्वास्थ्य विभाग पर है.
सतमोला खाओ कुछ भी पचाओ
चर्चा के दौरान एक युवती ने कहा कि सरकारी अस्पताल नहीं जाना चाहिए, जो बात सभी मेलिनियल्स को अच्छी नहीं लगी. सभी ने इस बात का विरोध करते हुए कहा कि देश में अच्छे सरकारी अस्पताल हैं, जहां पर लाखों लोगों को अच्छा इलाज मिल रहा है. प्रदेश में बने रिम्स में ही मरीजों की लाइलाज बिमारी का निदान हो रहा है. देश में 70 प्रतिशत लोग तो सरकारी अस्पतालों में ही निर्भर है. उनका वहां पर इलाज हो रहा है.
मेरी बात
स्वास्थ्य का सीधा संबंध स्वच्छता के साथ है. सरकार ने इस क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया है. प्रधानमंत्री के स्वच्छता कार्यक्रम के तहत पूरे देश में शौचालय निर्माण कार्य किए गए हैं. सरकारी अस्पतालों की दशा को बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि हमारे प्रदेश में डाक्टरों की कमी है. हम उसी सरकार को चुनेंगे जो लोगों को बेहतर स्वास्थ्य मुहैया कराएगा.
रीतू शर्मा
कड़क मुद्दा
देश में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के लिए विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार जिम्मेदार हैं. प्रदेश स्तर से करोड़ों रुपये का बजट मिलने के बाद भी सरकारी अस्पतालों में मरीजों को बेहतर सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. सरकारी अस्पतालों में आने वाली मंहगी दवाओं को कर्मी पहले ही मेडिकल सेंटर पर बेच देते हैं. इसके फलस्वरूप मरीजों को यहीं दवाएं मेडिकल स्टोर से लेना पड़ता है.
तरन तिवारी
सरकारी मेडिकल सर्विस की स्थित देश में बेहद चिंतन का विषय है. आज भी किसी तरह का हादसा होने पर शहर में मरीज को एमजीएम अस्पताल ले जाया जाता है. लेकिन सुविधाएं न होने से मरीज को टीएमएच में रेफर किया जाता है. गरीब आदमी कहां से पैसा भरे. सरकार को चाहिये कि जिले में एक ऐसा अस्पताल हो जहां पर सभी तरह की सेवाएं मौजूद हों.
रंजू कुमारी
सरकारी अस्पतालों में मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जाता है. सरकारें दूसरे क्षेत्र में करोड़ों का बजट खर्च कर रही है, लेकिन शहर में एक सीटी स्कैन कराने के लिए लोगों को हजारों रुपये खर्च करके प्राइवेट संस्थान में जाना पड़ता है. अस्पतालों में जरूरी मशीने होनी चाहिए.
संगीता कुमारी
सरकारी अस्पतालों में रोगियों की सुविधाओं में इजाफा हुआ है. लैब, एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड की सुविधा लोगों को मिल रही है, लेकिन अभी भी सरकार को इस दिशा में बेहतर कार्य करने की जरूरत है. सरकारी अस्पतालों में मरीजों की बीमारी ठीक नहीं होने का कारण गंदगी है. सरकार को साफ-सफाई की व्यवस्था ठीक करनी चाहिये. चायना नियोगी
आयुष्मान योजना के तहत देश के गरीब परिवारों को मेडिकल सुविधाओं से जोड़ा गया है. योजना के तहत एक ही परिवार के पांच लोगों को पांच लाख रुपये की मेडिकल सर्विस से जोड़ा गया है. सरकार को चाहिये कि योजना के तहत अन्य गरीब परिवारों को जोड़ा जाए उन परिवारों को मेडिकल सुविधाओं से जोड़ा जाए.
इंदू ओझा
प्रदेश में मेडिकल कॉलेज की कमी होने से कम डॉक्टर तैयार हो रहे हैं. प्रदेश में मेडिकल कॉलेज की स्थापना कर एमबीबीएस सहित अन्य कोर्स की सीटें बढ़ाई जाएं. सरकारी अस्पतालों में सभी विभाग के विशेषज्ञों की तैनाती की जाए जिससे लोगों को अच्छा इलाज मिल सके.
मिनी सिंह
देश की सरकारों ने मेडिकल क्षेत्र में काम किया है. देश में डाक्टरों की कमी के चलते लोगों को मेडिकल सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. सरकार को चाहिये कि मेडिकल का बजट बढ़ाकर लोगों को सुविधाओं से जोड़े.
सुनीता कुमारी
देश के अच्छे मेडिकल संस्थान में इलाज के लिए एक से दो माह पहले लाइन लगाना पड़ता है. प्रदेश स्तर में रिम्स में भी इलाज के लिए मरीजों की लंबी लाइन रहती है. जिले स्तर पर बड़े अस्पताल होने चाहिये जहां पर लोगों को ठीक से इलाज मिल सके.
शताब्दी तिवारी
देश की बढ़ती हुई जनसंख्या और देश में संसाधनों की कमी से लोगों को सही को इलाज नहीं मिल पा रहा है. देश में सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज के चलते हमारे देश के अस्पतालों में लोगों की सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं, जबकि हमारे पड़ोसी देश नेपाल में नामिनल रेट पर मेडिकल सुविधाएं दी जाती हैं.
अश्रि्वता सिंह