Daddy movie Review
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Daddy Review : देसी रॉबिनहुड की सुपरफिशिअल कहानी
पिछले कुछ महीनों से 70 के दशक पर बनने वाली फिल्मों का उफान सा आता चला जा रहा है। अरुण गावली के जीवन पे बनी फिल्म डैडी की शुरवात 70 के दशक के मुंबई से ही होती है, उस मुंबई से जिसके बारे में मैंने केवल सुना भर है। डॉनज और धमाकों से लबरेज मुंबई की कहानियां कई बार सुनाई गई हैं तो क्या अलग है डैडी में आइये आपको बताते हैं।
कहानी
ये फिल्म मुंबई के गैंगस्टर और फिर राजनेता बने अरुण गावली के जीवन की कहानी बताती है।
समीक्षा
मुंबई का वो समय जब यहाँ क्राइम अपने चरम पे था वो ही वो समय था जब अरुण गावली ने क्राइम की दुनिया मे कदम रखा सबसे पहले तो उन बातों का जिक्र करना चाहूँगा जो इस फिल्म को ख़ास बनाती है, फिल्म का आर्ट डायरेक्शन और कॉस्टयूम डिपार्टमेंट तारीफ के काबिल है, आप सीधे ही ७० के दशक में वापस पहुँच जाते हैं और उस मुंबई में पहुँच जाते हैं जो आज केवल पोलिस की फाइलों में ही देखने को मिलेगा। फिल्म का छायांकन बेहद शानदार है और फिल्म शॉट दर शॉट विसुअल मास्टरपीस है। फिल्म का मेकअप डिपार्टमेंट भी काबिल ए तारीफ है, लुक वाइज फुल मार्क्स। फिल्म मात खाती है तो अपने नैरेटिव और स्टोरीटेलिंग के तरीके में। बार बार प्रेजेंट और पास्ट में फिल्म के झूलने के कारण आप बहुत जगह पर कांफयूज हो जाते हैं। फिल्म में गावली के बारे में एक ही बात को इतने लोग कई तरीके से बताते हैं, की फिल्म मोनोटोन में चली जाती है। फिल्म में गावली का करैक्टर बड़ा ही एकतरफ़ा है, और कहीं कहीं पे 'इंदु सरकार' की तरह एक प्रोपागेंडा फिल्म लगने लगती है। कुल मिलाकर सत्य , कंपनी और सरकार, ये फिल्म तीनों मूवीज को कॉपी करने की कोशिश तो करती है पर बन इनमें से एक भी नहीं पाती।
अदाकारी
ये इस फिल्म का प्लस पॉइंट है, अर्जुन रामपाल की एक्टिंग टॉप नौच है और रॉकऑन के बाद ये उनका अब तक का बेस्ट परफॉरमेंस है। ऐश्वर्या राजेश और निशिकांत कामत ने भी ज़बरदस्त काम किया है, इस फिल्म में आपको शुभ मंगल सावधान की तरह एक और वेस्टेड कैमियो देखने को मिलेगा, उसको छोड़ के फिल्म की ओवरआल कास्टिंग बहुत अच्छी है।
कुल मिलाकर ये एक परफेक्ट फिल्म नहीं है। फिल्म को देख के आपको शायद थोड़ी सी इरीटेशन भी फील होगी। अपनी लचर राइटिंग के चलते ये फिल्म यादगार फिल्म नहीं बन पाती बल्कि एक अछि दिखने वाली साधारण फिल्म बनके रह जाती है। पर फिर भी इसके लुक, फ़ील और पेर्फोर्मेंसेस के लिए आप एक बार देख सकते हैं डैडी।
Rating : 3 star
Review by : Yohaann Bhaargava
कहानी
ये फिल्म मुंबई के गैंगस्टर और फिर राजनेता बने अरुण गावली के जीवन की कहानी बताती है।
समीक्षा
मुंबई का वो समय जब यहाँ क्राइम अपने चरम पे था वो ही वो समय था जब अरुण गावली ने क्राइम की दुनिया मे कदम रखा सबसे पहले तो उन बातों का जिक्र करना चाहूँगा जो इस फिल्म को ख़ास बनाती है, फिल्म का आर्ट डायरेक्शन और कॉस्टयूम डिपार्टमेंट तारीफ के काबिल है, आप सीधे ही ७० के दशक में वापस पहुँच जाते हैं और उस मुंबई में पहुँच जाते हैं जो आज केवल पोलिस की फाइलों में ही देखने को मिलेगा। फिल्म का छायांकन बेहद शानदार है और फिल्म शॉट दर शॉट विसुअल मास्टरपीस है। फिल्म का मेकअप डिपार्टमेंट भी काबिल ए तारीफ है, लुक वाइज फुल मार्क्स। फिल्म मात खाती है तो अपने नैरेटिव और स्टोरीटेलिंग के तरीके में। बार बार प्रेजेंट और पास्ट में फिल्म के झूलने के कारण आप बहुत जगह पर कांफयूज हो जाते हैं। फिल्म में गावली के बारे में एक ही बात को इतने लोग कई तरीके से बताते हैं, की फिल्म मोनोटोन में चली जाती है। फिल्म में गावली का करैक्टर बड़ा ही एकतरफ़ा है, और कहीं कहीं पे 'इंदु सरकार' की तरह एक प्रोपागेंडा फिल्म लगने लगती है। कुल मिलाकर सत्य , कंपनी और सरकार, ये फिल्म तीनों मूवीज को कॉपी करने की कोशिश तो करती है पर बन इनमें से एक भी नहीं पाती।
अदाकारी
ये इस फिल्म का प्लस पॉइंट है, अर्जुन रामपाल की एक्टिंग टॉप नौच है और रॉकऑन के बाद ये उनका अब तक का बेस्ट परफॉरमेंस है। ऐश्वर्या राजेश और निशिकांत कामत ने भी ज़बरदस्त काम किया है, इस फिल्म में आपको शुभ मंगल सावधान की तरह एक और वेस्टेड कैमियो देखने को मिलेगा, उसको छोड़ के फिल्म की ओवरआल कास्टिंग बहुत अच्छी है।
कुल मिलाकर ये एक परफेक्ट फिल्म नहीं है। फिल्म को देख के आपको शायद थोड़ी सी इरीटेशन भी फील होगी। अपनी लचर राइटिंग के चलते ये फिल्म यादगार फिल्म नहीं बन पाती बल्कि एक अछि दिखने वाली साधारण फिल्म बनके रह जाती है। पर फिर भी इसके लुक, फ़ील और पेर्फोर्मेंसेस के लिए आप एक बार देख सकते हैं डैडी।
Rating : 3 star
Review by : Yohaann Bhaargava
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