जिनेवा (आईएएनएस)। विश्व स्वास्थ्य संगटन (डब्ल्यूएचओ) ने माना कि नोवल कोरोना वायरस हवा से भी फैलता है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इस बात के प्रारंभिक प्रमाण मिले हैं कि मनुष्य के मुंह या नाक से निकल कर हवा में फैले सूक्ष्म कणों से कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे को संक्रमित कर सकता है। डब्ल्यूएचओ के एक अधिकारी के हवाले से बुधवार को बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भीड़ भरी जगह, बंद कमरे या ऐसी जगह जहां वेंटिलेशन ठीक न हो वहां हवा से कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने की आशंका ज्यादा रहती है।
प्रभावित हो सकती है इनडोर की गाइडलाइन
यदि प्रमाण सही है तो यह इनडोर जगहों के लिए बनाई गई गाइडलाइन को प्रभावित कर सकती है। 200 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने एक ओपन लेटर के जरिए डब्ल्यूएचओ पर आरोप लगाया है कि उसने हवा से कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने की संभावना को हल्के में ले लिया है। डब्ल्यूएचओ ने पहले कहा था कि खांसने या छींकने से कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करता है। कोलोराडो विश्वविद्यालय के एक केमिस्ट जोस जिमेनेज ने राॅयटर्स न्यूज एजेंसी से कहा कि वे सब चाहते हैं कि उनके प्रमाण को मान्यता दी जाए।
प्रमाण प्रारंभिक, अभी मूल्यांकन की जरूरत
पेपर पर साइन करने वाले केमिस्ट जोस ने कहा कि यह डब्ल्यूएचओ पर हमला नहीं है। यह एक वैज्ञानिक बहस है लेकिन हमें लगता है कि हमें पब्लिक के बीच जाना चाहिए क्योंकि वे इन प्रमाणों को सुनने के बाद भी मानने को तैयार नहीं हैं। डब्ल्यूएचओ अधिकारियों ने कहा कि प्रमाण प्रारंभिक हैं और अभी उनके मूल्यांकन की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ के इनफेक्शन प्रिवेंशन एंड कंट्रोल के टेक्निकल लीड बेनेडेटा एलेग्रांजी ने कहा कि भीड़, बंद और पर्याप्त वेंटिलेशन के अभाव में हवा में भी कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता।
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